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राष्ट्र गीत  “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने पर समस्तीपुर मंडल में किया गया इसका गान

मस्तीपुर। 7 नवम्बर शुक्रवार को राष्ट्रगीत“वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर समस्तीपुर मंडल में उत्साहपूर्वक कार्यक्रम हुई आयोजित यह आयोजन देशभर में मनाए जा रहे इस ऐतिहासिक उपलक्ष्य की एक कड़ी के अंतर्गत किया गया। जिसकी औपचारिक शुरुआत नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में हुई, जहाँ माननीय प्रधानमंत्री जी ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर देश को संबोधित किया। समस्तीपुर मंडल कार्यालय के सभागार में भी इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में उपस्थित सभी अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण ने एकत्रित होकर सुबह 10 बजे राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” (पूर्ण गीत) का सामूहिक गान किया। इसके उपरांत सभी ने नई दिल्ली से प्रसारित माननीय प्रधानमंत्री जी का प्रेरणादायी संबोधन सामूहिक रूप से सुना, जिसमें उन्होंने “वंदे मातरम्” गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, राष्ट्र निर्माण में उसकी भूमिका तथा एकता, आत्मसम्मान और देशभक्ति के भाव को सुदृढ़ करने में उसके योगदान को रेखांकित किया।विदित हो कि“वंदे मातरम्” गीत, जो बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1875 में रचा गया था, ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जन-जन के भीतर राष्ट्रीय चेतना का संचार किया था। इस अवसर पर अपर मंडल रेल प्रबंधक महोदय ने कहा वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह हमारे आत्मसम्मान, राष्ट्रप्रेम और एकता का प्रतीक है। हमें गर्व है कि हम इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी हैं। वंदे मातरम् का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य वंदे मातरम् गीत का सृजन महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अक्षय नवमी के पावन अवसर पर वर्ष 1875 में किया था। यह गीत प्रारंभ में उनकी प्रसिद्ध कृति ‘आनंदमठ’ में प्रकाशित हुआ, जो 1882 में पुस्तक के रूप में सामने आई। उस कालखंड में भारत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था। ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध जनचेतना का प्रसार हो रहा था, और जिसमे “वंदे मातरम्” गीत ने राष्ट्रभक्ति, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की भावना को एक स्वर दिया। यह गीत माँ भारती को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता के रूप में चित्रित करता है तथा भारतीय जनमानस को एकता और आत्मगौरव के सूत्र में बाँधता है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान “वंदे मातरम्” जन-जन का उद्घोष बन गया और क्रांतिकारियों से लेकर आम जनता तक सभी के लिए प्रेरणास्रोत बना। संविधान में स्थान स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात, जब भारत का संविधान तैयार किया जा रहा था, तब “वंदे मातरम्” के राष्ट्रीय महत्व को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया गया। 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के अध्यक्ष एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने घोषणा की वंदे मातरम्, जिसने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है, उसे ‘जन गण मन’ के समान सम्मान और दर्जा प्राप्त होगा। इस प्रकार “वंदे मातरम्” को भारत के राष्ट्रीय गीत (National Song) के रूप में संवैधानिक मान्यता प्राप्त हुई। तब से लेकर आज तक यह गीत देश के हर नागरिक के हृदय में राष्ट्रभक्ति, एकता और सेवा की भावना का प्रतीक बना हुआ है। इस अवसर पर मंडल कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में श्री आलोक कुमार झा एवं सन्नी सिन्हा, एडीआरएम तथा श्री विवेक कुमार, वरीय मंडल कार्मिक अधिकारी मंडल के सभी शाखा अधिकारियों, कर्मचारियों तथा कर्मचारियों के परिवारजनों ने भी सक्रिय भागीदारी की। इस दौरान पूरे वातावरण में देशभक्ति की भावना और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला।

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