डेस्क : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने साफ किया है कि अमेरिकी टैरिफ (US Tariffs) से प्रभावित भारतीय निर्यातकों को सरकार अकेला नहीं छोड़ेगी. उन्होंने कहा कि जल्द ही एक राहत पैकेज लाया जाएगा ताकि उन उद्योगों को सहारा दिया जा सके जो 50% तक बढ़े टैक्स की मार झेल रहे हैं.
पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया. इनमें कपड़े, ज्वेलरी, फुटवियर और केमिकल्स शामिल हैं. दरअसल, यह पेनल्टी रूस से भारत के कच्चे तेल के आयात से जोड़कर लगाई गई है. नतीजा यह हुआ कि अब कई उत्पादों पर टैक्स दर 50% तक पहुंच गई है, जिससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हो रहा है.
वित्त मंत्री (FM) ने कहा कि प्रभावित उद्योगों को “हैंडहोल्ड” करने के लिए विशेष योजना बनाई जा रही है. हालांकि इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होगी. माना जा रहा है कि सरकार ऐसा पैकेज लाएगी जिससे निर्यातकों की लिक्विडिटी समस्या, यानी कैश फ्लो की दिक्कत को दूर किया जा सके.
संभावित राहतें
कोविड काल जैसी लिक्विडिटी राहत योजनाएं.
कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) की दिक्कत दूर करने के उपाय.
बकाया भुगतान में देरी से बचाने के कदम.
नए बाजारों और सप्लाई चेन की ओर बढ़ने के लिए दीर्घकालिक रणनीति.
जानकारों के मुताबिक, इन टैरिफ्स के कारण भारतीय निर्यातकों को भुगतान में देरी, ऑर्डर कैंसिल होने और नए खरीदार खोजने जैसी मुश्किलें आ रही हैं. अगर हालात ऐसे ही रहे तो कई कंपनियों पर रोजगार बचाए रखना और दिवालियापन से बचना भी चुनौती बन सकता है.
भारत और अमेरिका को रणनीतिक साझेदार माना जाता है, लेकिन ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए ये कठोर शुल्क दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर दबाव बढ़ा रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक, भारत से अमेरिका जाने वाले करीब 55% निर्यात (लगभग 48 अरब डॉलर) अब वियतनाम, चीन और बांग्लादेश जैसे देशों के मुकाबले महंगे हो गए हैं.