नारी अब अबला तथा बेचारी नहीं रही : डॉ. दिव्या रानी हंसदा
दरभंगा। मिल्लत कॉलेज दरभंगा में “भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका” विषय पर बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन प्राचार्य डॉ. सिद्धार्थ शंकर सिंह की अध्यक्षता में की गई। संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कहा आज महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में तेजी के साथ आगे बढ़ रही हैं।पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संघर्ष की स्थिति में भारतीय महिला सैन्य पदाधिकारियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश का मस्तक ऊंचा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा वर्तमान राज्य सरकार ने लड़कियों को 35% का आरक्षण देकर तथा विभिन्न प्रकार का स्कॉलरशिप प्रदान कर साथ ही महिलाओं को विभिन्न योजनाओं से राशि प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाने का कार्य किया है। उन्होंने आशा प्रकट किया की इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी से जो निष्कर्ष सामने आएगा वह महिलाओं की स्थिति को और भी सशक्त बनाने का कार्य करेगी। विश्वविद्यालय की कुलसचिव, डॉ. दिव्या रानी हंसदा ने नारियों की सबलता और कर्तव्यनिष्ठता पर बल देते हुए कहा नारी अब अबला तथा बेचारी नहीं है। अब वह लगातार आगे बढ़ रही हैं। और महिलाओं ने समर्पण और ईमानदारी के साथ कार्य करके अपना मुकाम बनाया है।अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य, डॉ. सिद्धार्थ शंकर सिंह ने गायत्री मंत्र उच्चारण के साथ ही अल्लामा इकबाल की शायरी का जिक्र करते हुए कहा कि यह सेमिनार बहुत ही बड़े स्तर पर आयोजित किया जा रहा है जिसमें कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा इंग्लैंड, फ्रांस सहित कई देशों के विद्वान जुड़ रहे हैं। उन्होंने वैदिक काल से लेकर रजिया सुल्तान तथा उसके बाद झांसी की रानी तक के तमाम सशक्त महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं के योगदान की सराहना आज संपूर्ण विश्व कर रहा है। मिल्लत महाविद्यालय एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर अशफाक हाशमी ने अपने वक्तव्य में “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” का उल्लेख करते हुए देश के विकास में नारियों की सहभागिता की बात कही। इसके पूर्व कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन और मंत्रोच्चारण के साथ छात्र-छात्राओ द्वारा सामूहिक स्वागत गान से किया गया। आगत अतिथियों का स्वागत पाग, चादर, मेमेंटो तथा किताब आदि के द्वारा किया गया। तत्पश्चात सेमिनार की स्मारिका का विमोचन कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी तथा सभी मंचासीन अतिथियों के द्वारा किया गया। विषय प्रवर्तन कराते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष,डॉ. सोनी शर्मा ने वैदिक काल से आज तक की महिलाओं की भूमिका की विशद् चर्चा की। मंच संचालन अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ वीरेंद्र कुमार मिश्रा, धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ शाहनवाज आलम ने किया। ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड मेंपढ़े जा भोजनावकाश के उपरांत तकनीकी सत्रों की शुरुआत ऑनलाइन तथा ऑफलाइन मोड में की गई जिसमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय लंदन के प्रो.मोईन निजामी और यू.डी.एस.एम.एम.फ्रांस के डॉ डी.पी. सिंह सहित कई देशों के विद्वान ऑनलाइन शामिल हो रहे है। इसके अतिरिक्त काफी संख्या मे रिसर्च पेपर ऑनलाइन तथा ऑफलाइन मोड मे पढ़े गए। ऑफलाइन में 7 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। जिनके चेयरपर्सन थे डॉ. एम.सी मिश्रा, डॉ ए. एस. जिलानी, डॉ अब्दुर राफे, डॉक्टर कीर्ति चौरसिया, डॉ मुन्ना शाह, डॉक्टर सुनीता झा, प्रो. इफ्तेखार अहमद। आनलाइन में चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए जिनके चेयरपर्सन थे। डॉ मुदस्सिर हसन भट्ट, डॉक्टर वीरेंद्र कुमार मिश्रा, डॉक्टर कीर्ति चौरसिया, डॉ. जमशेद आलम। पूर्व कुलसचिव, डॉ. मुस्तफा कमाल अंसारी की अध्यक्षता में समापन सत्र का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य वक्ता डी.बी.के.एन कॉलेज नरहन, समस्तीपुर के प्राचार्य आदित्य चंद्र झा थे।