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आजादी की लड़ाई में RSS के योगदान से सीख लेने की जरूरत : डॉ. गोपालजी ठाकुर

बोले- भाजपा तथा आरएसएस की पवित्रता विश्व स्तर पर एक उदाहरण

दरभंगा (निशांत झा) : आरएसएस की पवित्रता इसके उद्देश्य तथा इसके योगदानों का सहजता से विश्लेषण करना संभव नहीं है। जानकारी के अभाव तथा अज्ञानता में लोग आरएसएस पर टिपण्णी कर देते हैं जो कहीं से भी उचित नहीं है, बल्कि आरएसएस का संगठन एक अध्ययन का विषय है।
दरभंगा के सांसद सह लोकसभा में भाजपा सचेतक डॉ. गोपालजी ठाकुर ने अपने संसदीय कार्यालय पर जिलाभर से आए विभिन्न बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों तथा भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओ के साथ संवाद करते हुए उपरोक्त विचार व्यक्त किए।

सांसद डॉ. ठाकुर ने आजादी की लड़ाई में आरएसएस के योगदानों की चर्चा करते हुए कहा कि 1947 में आजादी के समय भारत विभाजन के बाद कश्मीर सीमा पर पाकिस्तान से जान बचाकर लौटे तीन हजार शरणार्थियों की शिविरों के माध्यम से सभी आवश्यकताएं पूरी की गईं तथा साम्प्रदायिक सौहार्द के साथ राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद किया गया।

सांसद ने आरएसएस की स्थापना तथा इसके उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि 27 सितंबर 1925 को एक हिंदूवादी संगठन के रूप में इसकी स्थापना हुई और स्थापना के बाद से ही संगठन देश के सबसे बड़े स्वैच्छिक संगठन के रूप में सामाजिक सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक गतिविधियों का अबतक संचालन करता आया है।

मौके पर भाजपा के जिला उपाध्यक्ष अभयानंद झा, प्रेमकुमार रिंकू, प्रमोद चौधरी, अमलेश झा, ठाकुर भूपेंद्र किशोर, रामाज्ञा चौधरी, अभिराम झा, रामनरेश पासवान, फहीम खान, नेयाज खान, राजेश पोद्दार, रूपेश कुमार आदि मौजूद थे।

 

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