डेस्क : भारत सरकार ने गुरुवार को साफ-साफ कहा कि पाकिस्तान के साथ युद्धविराम (Ceasefire) को लेकर अमेरिका से जो बातचीत हुई थी, उसमें ‘टैरिफ’ यानी व्यापार शुल्क का कोई जिक्र नहीं हुआ था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “भारत का इस मुद्दे पर रुख बिल्कुल स्पष्ट है. 7 मई से लेकर 10 मई के बीच जब ऑपरेशन सिंदूर चल रहा था, तब अमेरिका से जो बातचीत हुई, वह केवल सैन्य हालात पर केंद्रित थी. टैरिफ का कोई उल्लेख कभी नहीं हुआ.”
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी विदेश नीति और सैन्य निर्णयों में पूरी तरह स्वतंत्र है. टैरिफ जैसे व्यापारिक मुद्दों को भारत अपनी सुरक्षा और रणनीतिक फैसलों से जोड़ने को तैयार नहीं है, और यह बात अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक सख्त संदेश है.
23 मई को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम ने एक कानूनी मंच पर पहली बार यह दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर अमेरिकी मध्यस्थता की वजह से संभव हो पाया, और इसके लिए दोनों देशों को “व्यापारिक पहुंच” देने की पेशकश की गई थी. इस दावे के जरिए ट्रंप प्रशासन अमेरिकी कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड में टैरिफ (शुल्क) पर कानूनी हार से बचना चाहता था.
अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कोर्ट में कहा कि अगर राष्ट्रपति की शक्तियों को सीमित किया गया तो भारत और पाकिस्तान ट्रंप के प्रस्ताव पर सवाल खड़े कर सकते हैं, जिससे पूरे दक्षिण एशिया की शांति और करोड़ों लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है. लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और ट्रंप की टैरिफ योजना को लागू होने से रोक दिया.
भारत ने जिस तरह तुरंत और साफ शब्दों में ट्रंप प्रशासन के दावे को नकारा है, वह इस बात का संकेत है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कूटनीतिक रुख को लेकर कोई गलतफहमी नहीं होने देना चाहता. भारत ने यह भी जताया है कि वह अमेरिका के आंतरिक राजनीतिक और कानूनी मामलों में नहीं उलझना चाहता, खासकर तब जब उससे भारत की संप्रभुता या प्रतिष्ठा पर असर पड़े.