डेस्क : भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे मौजूदा तनाव के माहौल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल का रूस दौरा काफी अहम माना जा रहा है. डोभाल रूस में 27 से 29 मई के बीच होने वाली 13वीं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में हिस्सा लेंगे. इस सम्मेलन की अध्यक्षता रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु करेंगे.
इस दौरे के दौरान अजीत डोभाल की कई द्विपक्षीय मुलाकातें भी होंगी, जिनमें वह रूस समेत अन्य देशों के सुरक्षा सलाहकारों से मिलकर क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और आपसी सहयोग जैसे मुद्दों पर बातचीत करेंगे. यह बैठक उस समय हो रही है जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद रूस के साथ कई उच्चस्तरीय बैठकों को टाल दिया था. इस हमले में 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे. यही वजह है कि अब डोभाल का यह दौरा रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम हो गया है.
इस बीच भारत और अमेरिका के बीच कुछ तल्खी भी देखने को मिली है. अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर को अपनी उपलब्धि बता रहे हैं. कभी वे कहते हैं कि उन्होंने व्यापार के जरिए सीजफायर करवाया, तो कभी पलट कर कहते हैं कि उनका इसमें कोई योगदान नहीं था. भारत सरकार ने कई बार स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान ने खुद सीजफायर की पहल की थी और दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने हॉटलाइन पर बात करके इस पर सहमति बनाई थी.
रूस लंबे समय से भारत का भरोसेमंद साथी रहा है. चाहे बात रक्षा सौदों की हो या आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की, दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है. भारत और रूस की साझेदारी का उदाहरण ब्रह्मोस मिसाइल और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जिन्होंने हाल ही में पाकिस्तान की ओर से आए ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया. इससे यह भी साफ हो गया कि भारत की सुरक्षा तैयारियों में रूस की तकनीक कितना योगदान दे रही है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की थी और इसे ‘क्रूर अपराध’ बताया था. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बात कर संवेदना जताई और भारत को आतंक के खिलाफ लड़ाई में पूरा समर्थन देने का वादा किया. दोनों देशों ने इस बात पर भी सहमति जताई कि उनके रिश्ते बाहरी दबावों से प्रभावित नहीं होंगे.
अजीत डोभाल का यह रूस दौरा भारत की कूटनीतिक और सुरक्षा रणनीति का एक अहम हिस्सा है. यह यात्रा ना केवल भारत-रूस के संबंधों को और मज़बूत करेगी, बल्कि पाकिस्तान और अन्य आतंकी ताकतों को एक सख्त संदेश भी देगी. ऐसे समय में जब दुनिया के कई हिस्सों में अस्थिरता फैली हुई है, भारत का अपने पुराने मित्र रूस के साथ खड़ा होना एक सकारात्मक संकेत है.