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आतंकी हमले के एक महीने बाद भी सुनसान पड़ा पहलगाम; स्थानीय लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट

डेस्क :पहलगाम जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को एक महीना बीत चुका है, लेकिन वहां के स्थानीय लोग आज भी रोजगार की तबाही से जूझ रहे हैं. हमले के बाद से दक्षिण कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है और इसके चलते सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट छा गया है. 22 अप्रैल 2024 को पहलगाम के मशहूर बैसारन घास के मैदान में अचानक गोलियां चल गईं. बताया गया कि चार से छह आतंकियों ने वहां घूमने आए पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया.

भारत की सख्त प्रतिक्रिया
हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया. वीजा रद्द किए गए, इंडस वॉटर ट्रीटी को निलंबित कर दिया गया, राजनयिकों और सैन्य कर्मियों को देश से बाहर निकाला गया और सीमाएं सील कर दी गईं. साथ ही भारत ने पाकिस्तान और POK में नौ आतंकी ठिकानों पर जवाबी हमले भी किए.

पर्यटकों की गैरमौजूदगी बनी रोजगार का संकट
पर्यटन पर पूरी तरह निर्भर पहलगाम के स्थानीय लोग आज भूख और बेबसी का सामना कर रहे हैं. एक समय था जब यहां हर रोज़ हज़ारों सैलानी आया करते थे. होटल, टैक्सी, टट्टू सेवा, दुकानें – हर किसी को इससे आमदनी होती थी. लेकिन अब वह चहल-पहल सूनेपन में बदल चुकी है.

स्थानीय टूर ऑपरेटर नासिर अहमद ने बताया, “90 के दशक की उग्रवाद की स्थिति में भी पहलगाम इतना वीरान नहीं हुआ था, जितना आज है. एक महीने से हम पूरी तरह बेरोज़गार हैं.” वहीं दुकानदार मोहम्मद इरशाद का कहना है, “पूरे महीने में एक रुपया भी कमाई नहीं हुई है. सरकार को कुछ करना होगा, वरना लोग भूख से मर जाएंगे.”

हमलावर अब भी फरार
हमले के एक महीने बाद भी हमलावर आतंकियों का कुछ पता नहीं चला है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए थे, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. हमले के बाद कश्मीर के कई इलाकों में आतंकियों और उनके समर्थकों के ठिकानों पर कार्रवाई हुई है. कई घरों को ध्वस्त किया गया है जो जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों से जुड़े पाए गए. लेकिन मुख्य आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं

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