डेस्क : दिल्ली के तुगलक क्रेसेंट स्थित सरकारी बंगले में जलते नोटों के विवाद के बीच सुर्खियों में आए जस्टिस यशवंत वर्मा ने 5 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ली. हालांकि उन्हें फिलहाल कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा जाएगा.
14 मार्च की रात, जब देश होली का त्योहार मना रहा था, दिल्ली के वीआईपी क्षेत्र तुगलक क्रेसेंट स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई. उस समय जस्टिस वर्मा घर पर नहीं थे. उनकी बेटी और मां ने आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड और पुलिस को बुलाया. दमकलकर्मी जब स्टोर रूम में पहुंचे तो वहां जलते हुए नकदी के बंडलों का ढेर मिला, जिससे यह मामला सुर्खियों में आ गया.
घटना के कुछ ही दिनों में सोशल मीडिया पर जली हुई नकदी के फोटो और वीडियो वायरल हो गए. 23 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस वर्मा से कार्यभार वापस ले लिया. इस घटनाक्रम ने न्यायपालिका की प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़े किए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर, लेकिन कोई काम नहीं इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला मंजूर किया. हालांकि आदेश में साफ कहा गया है कि उन्हें कोई भी न्यायिक कार्य नहीं सौंपा जाएगा.
इस संवेदनशील मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की एक आंतरिक समिति कर रही है, जिसमें तीन वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल हैं. रिपोर्ट आने तक जस्टिस वर्मा पर किसी प्रकार का न्यायिक दायित्व नहीं रहेगा.