मुझे दाहिने कान में संक्रमण था, जिसका निदान आरटी सीएसओएम के रूप में किया गया था. इसके लिए मैं डॉ. राजीव पचौरी के पास गई थी, यह जानते हुए कि वह पुष्पांजलि अस्पताल (आगरा) के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं.
पुष्पांजलि अस्पताल एक एनएबीएच मान्यता प्राप्त अस्पताल है, जिसकी वेबसाइट पर ईएनटी विभाग के अंतर्गत डॉ. राजीव पचौरी का प्रोफाइल दिखाया गया है, लेकिन हैरत की बात है कि इनके नाम से कोई ओपीडी उपलब्ध नहीं है. हालांकि, डॉ. राजीव पचौरी का आगरा के मधुबन प्लाजा में रितिका ईएनटी सेंटर नाम से एक प्राइवेट ईएनटी क्लिनिक है.
अपने इलाज के दौरान मुझे पता चला कि यदि कोई मरीज पुष्पांजलि अस्पताल में डॉ. पचौरी से अपनी सर्जरी कराना चाहता है तो उसे अस्पताल प्रबंधन से संपर्क करना होगा और यदि प्रबंधन सर्जरी शुल्क का भुगतान करेगा, तभी डॉ. पचौरी अस्पताल में उपलब्ध हो पाएंगे और सर्जरी करेंगे. अस्पताल के टीपीए विभाग को भी नहीं पता कि अस्पताल की वेबसाइट पर डॉ. पचौरी का प्रोफाइल दिखाया जा रहा है. संपर्क करने पर बताया गया कि पुष्पांजलि अस्पताल के डॉक्टर डॉ. सुरेन्द्र सिंह बघेल ही सर्जरी कर सकते हैं.
सर्जरी से पहले महत्वपूर्ण बायोमार्कर परीक्षण किया जाना चाहिए. इसमें पीटीआईएनआर महत्वपूर्ण है, जिसे डॉ. पचौरी द्वारा निर्धारित नहीं किया गया था और उनके स्टाफ ने मौखिक रूप से ईसीजी करने की सलाह दी, जो डॉक्टर नहीं है.
अंत में मैंने इतनी भ्रामक स्थिति में डॉ. सुरेन्द्र सिंह बघेल से सर्जरी कराने का निर्णय लिया और सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुई.
इन सभी अनुभवों के बाद अस्पताल व डॉक्टरों को मेरी सलाह है कि-
1. अगर कोई डॉक्टर अस्पताल से जुड़ा नहीं है तो कृपया उसको वेबसाइट आदि पर नहीं दिखाएं. इससे मरीजों को भ्रम होता है और संबंधित अस्पताल एवं डॉक्टर, दोनों की नकारात्मक छवि बनती है.
2. अस्पताल के टीपीए डेस्क को कम-से-कम अपने डॉक्टरों के बारे में सही जानकारी रखनी और देनी चाहिए.
3. एक डॉक्टर को ही सर्जरी से पहले किए जानेवाले महत्वपूर्ण टेस्ट लिखना चाहिए. अगर, उनका स्टाफ मौखिक सलाह में बचे हुए टेस्ट करवाने के लिए मरीजों से बोलेगा तो मरीजों में भ्रम की स्थिति पैदा होना स्वाभाविक है.
4. कृपया मरीज को सर्जरी फीस के लिए अस्पताल प्रबंधन से बात करने के लिए नहीं बोलें, इससे मरीजों में डाक्टर और अस्पताल दोनो की बुरी छवि बनती है.
5. अस्पताल के वार्ड में बहुत-सी संचार संबंधी खामियों को दुरुस्त करने की आवश्यकता है. जैसे, मरीज की कॉल बेल काम नहीं कर रही थी. रात में तरल आहार दिया गया और अगली सुबह कोई आहार नहीं था. कमरा तैयार नहीं था और हाउसकीपिंग स्टाफ को नए मरीज के आने और छुट्टी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बगैर पास के ही कोई भी किसी भी मरीज के पास पहुंचने में सक्षम नजर आया.
मैं प्रियंवदा दीक्षित मेडिकल क्षेत्र से क्लिनिकल डाइटीशियन हूं. मैक्स, अपोलो, फोर्टिस और नारायणा हॉस्पिटल के साथ काम कर चुकी हूं. मैं ‘फूड फॉर हील’ की निदेशक हूं और ‘न्यूज वॉच’ समाचार पत्रिका की आगरा ब्यूरो चीफ भी हूं. पुष्पांजलि अस्पताल व डॉ. पचौरी का चिकित्सा क्षेत्र में बहुत नाम है. लेकिन, वास्तविकता कुछ अलग ही कहानी बयां करती है. ऐसी भ्रम की स्थिति, लापरवाही और कुव्यवस्था से अस्पताल और डॉक्टर की छवि को नुकसान होता है और लोगों के भरोसे पर कुठाराघात होता है. चिकित्सा क्षेत्र से संबद्ध होने के बावजूद अगर मेरा इतना कड़वा अनुभव रहा है तो आमलोगों की क्या स्थिति होती होगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है. अस्पताल में कम-से-कम आहार विभाग, नर्सिंग विभाग व हाउसकीपिंग की स्थिति तो बेहतर होनी ही चाहिए.
प्रकरण से संबंधित विभिन्न प्रमाण
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