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विदेश मंत्रालय ने अमेरिका को लगाई कड़ी फटकार, मानवाधिकार रिपोर्ट और विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन पर उठाए सवाल

डेस्क : भारत ने अमेरिका को एक ही दिन में दो बार फटकार लगाई है. पहले अमेरिकी विश्वविद्यालयों में हो रहे प्रदर्शनों पर और फिर अमेरिकी विदेश विभाग की भारत में मानवाधिकारों पर जारी रिपोर्ट को लेकर भारत ने अपनी नाराजगी जाहिर की है.

अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हर लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी और जिम्मेदारी के बीच सही संतुलन होना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों को एक-दूसरे की संवेदनशीलताओं का सम्मान करना चाहिए और आपसी समझ को बढ़ावा देना चाहिए.

अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है. कोलंबिया, लॉस एंजिल्स और ऑस्टिन समेत देशभर के 25 विश्वविद्यालयों में ये प्रदर्शन जारी हैं. ये गाजा में इजराइल के हमले रोकने की मांग कर रहे हैं.

भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग की भारत में मानवाधिकारों पर जारी रिपोर्ट को “पूरी तरह से पक्षपाती” और “भारत की खराब समझ को दर्शाने वाला” बताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत इस रिपोर्ट को कोई महत्व नहीं देता है. भारत के इस रुख से साफ है कि वह अमेरिका के दबाव में आने वाला नहीं है और अपनी संप्रभुता और हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा.

अन्य मुद्दों पर भी भारत ने रखी अपनी बात

अज़रबैजान और आर्मेनिया: भारत ने कहा कि उसके अज़रबैजान और आर्मेनिया दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं और वह रक्षा निर्यात के लिए मेक इन इंडिया नीति का पालन करता है.

बांग्लादेश-चीन सैन्य अभ्यास: भारत ने कहा कि वह बांग्लादेश और चीन के बीच होने वाले सैन्य अभ्यास पर नजर रखे हुए है.

खालिस्तानी आंतकी पन्नू की हत्या की साजिश का मामला: भारत ने उच्च स्तरीय समिति गठित करने के अपने रुख को दोहराया.

कश्मीर मुद्दा: भारत ने ईरान-पाकिस्तान संयुक्त बयान में कश्मीर का उल्लेख किए जाने पर आपत्ति जताई है.

भारत के इस रुख से साफ है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात रखने में अब हिचकिचाता नहीं है और अपने हितों की रक्षा के लिए पूरी मजबूती से खड़ा है.

 

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