बिहार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने जो करिश्मा कर दिखाया है, उसकी गूंज केवल पटना तक सीमित नहीं रही है, बल्कि इसने दिल्ली के सियासी गलियारों में भी हलचल पैदा कर दी है।’प्रचंड’ बहुमत के साथ मिली इस ऐतिहासिक जीत के बाद अब राज्य में सरकार गठन की गहमागहमी अपने चरम पर है। सूत्रों के मुताबिक, राजधानी पटना के गांधी मैदान में 20 नवंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस शानदार विजय ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में एक नया, अदम्य जोश भर दिया है। 89 सीटों के साथ राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बाद बीजेपी का उत्साह सातवें आसमान पर है और यह जीत पार्टी के राष्ट्रीय राजनीतिक कद को और भी मजबूत करती है। एक तरफ जहां बिहार में विजय का जश्न मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ देश की राजनीति में एक और बड़ा, बहुप्रतीक्षित फैसला सुर्खियों में है- भारतीय जनता पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? सबकी निगाहें अब दिल्ली की तरफ हैं, जहां इस अत्यंत महत्वपूर्ण पद पर मुहर लगने का इंतजार हो रहा है।
बिहार के ‘रण’ से दिल्ली की ‘सत्ता’ तक :बिहार चुनाव परिणाम आने के बाद, अब पार्टी में एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक बदलाव का समय आ गया है। दरअसल, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा पिछले कई महीनों से चर्चा का विषय बनी हुई है। इस संबंध में, खुद देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा और निर्णायक बयान दिया था। उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्पष्ट कहा था कि जैसे ही बिहार चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होगी, पार्टी अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर देगी। राजनाथ सिंह ने उस दौरान यह भी स्पष्ट किया था कि अध्यक्ष चुनने में पार्टी के सामने किसी तरह की कोई आंतरिक बाधा नहीं है और इसे लेकर पार्टी और उसके वैचारिक मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच कोई मतभेद भी नहीं है। इस स्पष्ट बयान के बावजूद, नाम की घोषणा में हो रही देरी पार्टी के सदस्यों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच बढ़ती बेचैनी का कारण बन रही है, क्योंकि यह पद पार्टी के भविष्य की रणनीति और संगठनात्मक दिशा के लिए निर्णायक साबित होगा।
जेपी नड्डा का ‘एक्सटेंडेड’ कार्यकाल और इंतजार की घड़ी :यह सब जानते हैं कि वर्तमान में जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) जनवरी 2020 से ही पार्टी की कमान सफलतापूर्वक संभाल रहे हैं। उनका तीन साल का मूल कार्यकाल जून 2023 में ही पूरा हो चुका था। हालांकि, पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों की महत्वपूर्ण चुनौतियों को देखते हुए उन्हें नेतृत्व में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रारंभिक विस्तार दिया था। इसके बाद, महत्वपूर्ण चुनावी मुकाबलों के दौरान संगठन में किसी भी प्रकार की अस्थिरता से बचने के लिए उनके कार्यकाल को एक बार फिर से बढ़ाया गया। अब, जबकि बीजेपी ने बिहार में अपनी ताकत साबित करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की है और कई महत्वपूर्ण राज्यों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं, नड्डा के उत्तराधिकारी के नाम से पर्दा हटने में हो रही देरी सियासी उत्सुकता को चरम पर पहुंचा रही है। संगठन के सर्वोच्च पद पर नया चेहरा पार्टी की आगामी रणनीतियों और बड़े चुनावी लक्ष्यों को एक नई धार देगा।
‘रेस’ में कौन-कौन शामिल? दिग्गज नेताओं के नाम पर मंथन :बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चल रही आंतरिक चर्चाओं और अटकलों में कई बड़े और अनुभवी नेताओं के नाम शामिल हैं। इन नामों पर केंद्रीय नेतृत्व में गंभीर विचार-विमर्श चल रहा है। संभावित उम्मीदवारों की सूची में सबसे आगे जो नाम बताए जा रहे हैं, उनमें केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव प्रमुख हैं। ये सभी नेता अपने-अपने राजनीतिक और संगठनात्मक क्षेत्रों में मजबूत पकड़ और लंबा प्रशासनिक अनुभव रखते हैं, जो इन्हें इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त बनाता है। सियासी पंडितों का मानना है कि अध्यक्ष का चयन करते समय पार्टी नेतृत्व अनुभवी, सर्वसम्मति वाले और संगठन पर मजबूत पकड़ रखने वाले चेहरे को ही तरजीह देगा, जो आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों की चुनौतियों के लिए पार्टी को तैयार कर सके।
क्या बीजेपी को मिलेगी पहली ‘महिला अध्यक्ष’? इस बीच, एक और दिलचस्प चर्चा ने सियासी गलियारों में जोर पकड़ लिया है: क्या बीजेपी को पहली बार कोई महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकती है? अगर ऐसा होता है, तो यह भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम होगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘नारी शक्ति’ पर जोर देने वाली रणनीति को अभूतपूर्व मजबूती प्रदान करेगा। इस संभावित सूची में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम सबसे ऊपर है, जो अपनी तीक्ष्ण बुद्धि, प्रशासनिक क्षमता और देश-विदेश में मजबूत पहचान के लिए जानी जाती हैं। उनके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री एन टी रामा राव की बेटी डी पुरंदेश्वरी और बीजेपी महिला मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वनाथी श्रीनिवासन के नाम भी चर्चा में हैं। इन महिला नेताओं में से किसी एक का अध्यक्ष बनना न केवल पार्टी, बल्कि देश की महिला राजनीति के लिए भी एक बड़ा और प्रगतिशील संदेश होगा। इंतजार है उस घड़ी का, जब बीजेपी अध्यक्ष पद की नई घोषणा से देश की सियासत में बड़ी हलचल मचेगी।
