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ऑनलाइन गेमिंग पर बैन का दिखने लगा असर, UPI लेनदेन में ₹2500 करोड़ की आई गिरावट

डेस्क : सरकार द्वारा पैसों वाले ऑनलाइन गेम्स पर लगाए गए प्रतिबंध का असर तुरंत देखने को मिला है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ अगस्त के पहले 9 दिनों में ही गेमिंग सेक्टर (Gaming Sector) के UPI लेनदेन में लगभग 2500 करोड़ रुपये की गिरावट देखी गई है. जुलाई में गेमिंग कैटेगरी (Gaming Category)  में जहां 35.1 करोड़ लेनदेन हुए थे, जिनका कुल मूल्य 10,076 करोड़ रुपये से ज़्यादा था, वहीं अगस्त में यह घटकर 27.1 करोड़ लेनदेन और 7441 करोड़ रुपये रह गया. यानी लगभग 25 प्रतिशत की सीधी गिरावट आई.

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि असली कमाई असल में रियल मनी गेमिंग (RMG) से हो रही थी. दूसरे ई-स्पोर्ट्स (E-sports game) या सोशल गेमिंग (Social Gaming) से बहुत कम कमाई होती है. एनपीसीआई के अनुसार, हर महीने सिर्फ वॉलेट लोडिंग में ही आरएमजी के जरिए 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा  का लेन-देन होता था और सालाना कारोबार लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था.

आरएमजी पर लगे इस प्रतिबंध से गेमिंग कंपनियों को भले ही बड़ा झटका लगा हो, लेकिन यूपीआई जैसे बड़े पेमेंट प्लेटफॉर्म पर इसका असर मामूली है. दरअसल, यूपीआई हर महीने 19 अरब से ज़्यादा लेन-देन करता है, जिसका कुल मूल्य लगभग 25 लाख करोड़ रुपये है. ऐसे में गेमिंग कैटेगरी का हिस्सा कुल मूल्य का केवल 0.5% और वॉल्यूम का लगभग 1.5% है. हालांकि, आईपीएल सीजन के दौरान यह बढ़कर 2.5% हो जाता है.

प्रतिबंध के तुरंत बाद, ज्यादातर कंपनियों ने अपने आरएमजी गेम्स बंद कर दिए और ई-स्पोर्ट्स या सोशल गेमिंग पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया. लेकिन इसके साथ ही, कई कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी भी की है. गौरतलब है कि आरएमजी क्षेत्र की कई कंपनियां मुनाफे में चल रही थीं, जो भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में कम ही देखने को मिलता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से घरेलू पेमेंट एग्रीगेटर्स (Domestic Payment Aggregators) को झटका लगा है, लेकिन इससे भी बड़ा खतरा यह है कि लोग अब विदेशी सट्टेबाजी वेबसाइटों (Foreign Betting Websites) का रुख कर सकते हैं. इन साइटों पर क्रेडिट कार्ड के जरिए आसानी से पैसा जमा किया जा सकता है और ये अक्सर अपनी असली पहचान छिपाकर काम करती हैं.

हालांकि, सरकार ने सख्त नियम बनाए हैं और बैंकों व भुगतान कंपनियों को ऐसे लेन-देन पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं.

कानून के तहत, अब इन प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले, विज्ञापन देने वाले या आर्थिक मदद देने वाले सभी लोगों पर कार्रवाई हो सकती है. यह अपराध गैर-जमानती है और इसके लिए तीन साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

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