डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन सट्टेबाजी (Online Betting) ऐप्स पर बैन लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि ये ऐप्स युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं और इन पर जल्द से जल्द रोक लगनी चाहिए.
ईसाई धर्म प्रचारक के.ए. पॉल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उनका कहना है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी एक तरह का जुआ है, जिससे लाखों युवा फंस चुके हैं. खासकर तेलंगाना जैसे राज्यों में कई लोगों ने इस लत के कारण अपनी जान भी गंवाई है. उन्होंने कहा कि जैसे सिगरेट के पैकेट पर “स्वास्थ्य के लिए हानिकारक” लिखा होता है, वैसे ही इन ऐप्स पर भी चेतावनी होनी चाहिए — लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता.
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने माना कि यह एक गंभीर मुद्दा है और पहले भी इस पर बातें हो चुकी हैं. कोर्ट ने कहा –
“हम मानते हैं कि यह गलत है, लेकिन लोग अपनी मर्जी से सट्टा लगाते हैं. जैसा कि कानून बना देने से अपराध खत्म नहीं हो जाते, वैसे ही सिर्फ बैन लगाने से यह आदत भी खत्म नहीं होगी.”
पॉल ने कोर्ट को बताया कि 25 से ज्यादा बॉलीवुड और टॉलीवुड एक्टर्स इन ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स का प्रचार कर रहे हैं. यहां तक कि क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाला खिलाड़ी भी इनका प्रचार करता है. इस पर जज सूर्य कांत ने कहा – “ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि उन्हें भी पता है कि IPL जैसे टूर्नामेंट के दौरान हजारों लोग सट्टा लगाते हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अगर जरूरत पड़ी तो राज्यों को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाएगा. पॉल ने यह मांग भी की कि इन ऐप्स को Google Play Store और Apple App Store से हटाया जाए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि अभी इस पर कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जाएगा.
ऑनलाइन सट्टेबाजी के खिलाफ यह याचिका लाखों परिवारों की चिंता को आवाज दे रही है. अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या वाकई इन ऐप्स पर पाबंदी लगाई जा सकेगी.