डेस्क : हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, जहां दुनिया भर के 10,000 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, अब एक बड़े संकट के दौर से गुजर रही है. अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी का Student and Exchange Visitor Program (SEVP) सर्टिफिकेशन रद्द कर दिया है. इसका मतलब यह है कि हार्वर्ड अब 2025–2026 सत्र में विदेशी छात्रों को नामांकित नहीं कर सकता. भारत के करीब 788 छात्र भी इससे प्रभावित हो सकते हैं. हालांकि, उम्मीद अभी बाकी है. अगर हार्वर्ड प्रशासन 72 घंटे में 6 शर्तों को मान लेता है, तो वह फिर से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पढ़ा सकेगा.
हार्वर्ड ने फिलहाल संयमित प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वह अपनी अंतरराष्ट्रीय छात्र समुदाय के लिए प्रतिबद्ध है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि वह 140 से अधिक देशों के छात्रों को शिक्षा देकर अमेरिका को समृद्ध बना रही है.
भारतीय छात्रों के लिए यह फैसला किसी झटके से कम नहीं. इन छात्रों ने लाखों रुपये खर्च कर हार्वर्ड में प्रवेश पाया, लेकिन अब उनका भविष्य अधर में है. पूर्व बाइडेन सलाहकार अजय भूटोरिया ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा, “यह फैसला अमेरिका की छवि को धूमिल करता है और भारत-अमेरिका रिश्तों को कमजोर कर सकता है.”
ट्रंप प्रशासन की ये 6 सख्त शर्तें
अमेरिका के Department of Homeland Security की प्रमुख क्रिस्टी नोएम ने 22 मई को हार्वर्ड को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने ये 6 शर्तें रखीं:
पिछले 5 सालों में विदेशी छात्रों से जुड़ी किसी भी अवैध गतिविधि का पूरा रिकॉर्ड.
कैंपस या उसके बाहर छात्रों की किसी भी “हिंसक या खतरनाक गतिविधि” का दस्तावेजी प्रमाण.
ऐसे किसी भी मामले का रिकॉर्ड, जहां विदेशी छात्रों ने दूसरों को धमकी दी हो.
अगर किसी छात्र ने किसी अन्य की आजादी या अधिकारों का हनन किया हो, उसका प्रमाण.
2020 के बाद से सभी अनुशासनात्मक मामलों का ब्योरा.
विदेशी छात्रों से जुड़ी किसी भी प्रदर्शन, विरोध, ऑडियो या वीडियो फुटेज का रिकॉर्ड.
इन शर्तों को समय पर और सही तरीके से पूरा नहीं करने पर यूनिवर्सिटी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है.
यहूदी विरोध और चीन से संबंधों के आरोप
ट्रंप प्रशासन ने यह कदम हार्वर्ड पर यहूदी विरोधी गतिविधियों और चीनी संस्थानों के साथ कथित रिश्तों के चलते उठाया है. नोएम ने कहा कि यूनिवर्सिटी का माहौल यहूदी छात्रों के लिए असुरक्षित बन चुका है, जहां “हिंसा और चरमपंथ को बढ़ावा” मिल रहा है. हार्वर्ड पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सहयोग के भी आरोप लगे हैं.
विरोध प्रदर्शन की फुटेज भी मांगी गई
DHS ने हार्वर्ड से विदेशी छात्रों से जुड़े विरोध प्रदर्शनों की ऑडियो और वीडियो फुटेज भी मांगी है. इससे छात्रों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच डर का माहौल बन गया है. इसे “छात्रों की आवाज़ दबाने की कोशिश” बताया जा रहा है.
अब देखना यह होगा कि हार्वर्ड इन शर्तों को समय रहते पूरा कर पाता है या नहीं. अगर ऐसा नहीं होता, तो हजारों छात्रों को या तो ट्रांसफर लेना होगा या अमेरिका छोड़ना पड़ेगा.