डेस्क : जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर से चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वजह बेहद संवेदनशील है. गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के चलते वह अस्पताल में भर्ती हैं और इस बात की जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया के ज़रिए दी है. खास बात यह है कि उनकी यह पोस्ट उस वक्त सामने आई, जब उनके खिलाफ CBI ने कीरु हाइड्रो प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार को लेकर चार्जशीट दाखिल की है. ऐसे में स्वास्थ्य और सियासत के मोर्चे पर उनका यह दौर चर्चा का विषय बन गया है.
सत्यपाल मलिक ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर अपने शुभचिंतकों को संदेश दिया कि वह गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं. उन्होंने लिखा, “नमस्कार साथियों. मेरे बहुत से शुभचिंतकों के फोन आ रहे हैं जिन्हें उठाने में मैं असमर्थ हूं. अभी मेरी हालत बहुत खराब है, मैं फिलहाल अस्पताल में भर्ती हूं और किसी से भी बात करने की हालत में नहीं हूं.” साथ ही उन्होंने अस्पताल के बेड से अपनी एक तस्वीर भी साझा की, जिसे देखकर उनकी तबीयत की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
सीबीआई ने कीरु हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (कीमत लगभग ₹2200 करोड़) में कथित भ्रष्टाचार को लेकर सत्यपाल मलिक और पांच अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. यह प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में है और इसका संचालन Chenab Valley Power Projects Pvt. Ltd. (CVPPPL) के जरिए किया जा रहा है.
चार्जशीट के अनुसार, प्रोजेक्ट में ई-टेंडरिंग के जरिए रिवर्स ऑक्शन के प्रस्ताव को नजरअंदाज कर पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को सीधे ठेका दे दिया गया. सीबीआई ने फरवरी 2025 में दिल्ली और जम्मू-कश्मीर समेत 30 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी, जिनमें मलिक के आवास और उनके सहयोगियों के स्थान शामिल थे.
इन आरोपों पर सत्यपाल मलिक ने पहले ही बयान दिया था कि यह सब उन्हें डराने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “मैं पिछले 3-4 दिनों से बीमार हूं और अस्पताल में भर्ती हूं. इसके बावजूद डिक्टेटर मेरे घर पर छापा मरवा रहा है. मेरा ड्राइवर और सहायक भी परेशान किए जा रहे हैं. मैं किसान का बेटा हूं, इन छापों से नहीं डरूंगा.”
सत्यपाल मलिक पहले भी पुलवामा हमले और किसान आंदोलन को लेकर सरकार पर खुलकर आरोप लगाते रहे हैं. उन्होंने कहा था कि साल 2019 में पुलवामा में जो हमला हुआ, उसमें सरकार की लापरवाही थी. उनका दावा था कि सेना ने हेलीकॉप्टर की मांग की थी लेकिन उसे मंजूरी नहीं दी गई, जिससे 40 जवान शहीद हो गए. वहीं, उन्होंने 2020-21 के किसान आंदोलन का समर्थन किया था और कहा था कि वे किसानों के साथ हैं. उस समय भी उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की थी.