हरियाणा

आजादी के 100 वे साल तक भारत ग्लोबल फूड पावर हाउस के तौर पर उभरे: डॉ. सुरेश मल्होत्रा

आजादी के 100 वे साल तक भारत ग्लोबल फूड पावर हाउस के तौर पर उभरे: डॉ. सुरेश मल्होत्रा

 

 

करनाल :- महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के प्रांगण में अनुसंधान निदेशालय द्वारा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (नई दिल्ली) द्वारा प्रायोजित हरियाणा के मध्य गंगा मैदान क्षेत्र में मृदा स्वास्थ्य एवं पर्यावरणी संतुलन के सतत उपाय विषय को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला तथा 2 दिवसीय किसान संवाद एवम प्रदर्शनी का मंगलवार को शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में राज्य के विभिन्न जिलों से आए करीब 60 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ एमएचयू के माननीय कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने किया। कार्यक्रम में पहुंचने पर अनुसंधान निदेशक डॉ. रमेश गोयल व कार्यशाला संयोजिका डॉ. बिमला ने किया।

माननीय कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग करने के लिए पर्यावरणीय संतुलन के लिए कई बातों पर ध्यान देने की जरुरत हैं। प्राकृतिक संसाधनों को किस प्रकार सुरक्षित रखें, इन सबके लिए जागरूकता लाने की जरुरत है। किसानों की आय बढ़े, फसलों पर लागत कम करें, प्राकृतिक संसाधनों का समुचति प्रयोग हो, गुणवत्ता में सुधार आए। कम पानी की जरुरत वाली फसलों का प्रयोग करें। इन सबके लिए केंद्र व प्रदेश सरकार किसानों की हरसंभव मदद में जुटी है। माननीय कुलपति ने बताया कि मिट्‌टी जांच का मॉडल हरियाणा से शरू हुआ, जिसे दूसरे कई राज्यों ने अपनाया। 2015 में प्रधानमंत्री ने मिट्‌टी जांच के लिए मिट्‌टी स्वास्थ्य कार्ड की शुरूआत की, जिससे किसानों को अपने खेत की मिट्‌टी के स्वास्थ्य के बारे में हर जानकारी हो। उन्होंने कहा कि जांच के आधार पर ही किसान भूमि की उपजाऊ शक्ति को कैसे बनाएं रखे, उपाय कर सकता है।उन्होंने कहा कि 2047 यानि आजादी के 100 साल बाद भारत कैसा होगा, इसी परिकल्पना की पीछे का उदेश्य है कि ग्लोबल फूड पावर हाउस के तौर पर उभरे अर्थात भारत अपने साथ-साथ विश्व की भोजन की जरुरतों को पूरा करे ओर पूरी दूनिया भारत की ओर देखे।

 

कार्यशाला किसानों के लिए वरदान साबित होगी: कुलपति

उन्होंने कहा कि कार्यशाला किसानों के लिए वरदान साबित होगी, किसानों को आधुनिक युग में किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से कैसे निपटे, मृदा की शक्ति कैसे बनाएं रखे, पर्यावरण के साथ संतुलन कैसे बनाए ओर प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किस प्रकार करें आदि सब बाते विशेषज्ञों द्वारा बताई जाएगी। उन्होंने कहा कि अब तक केवल मिट्‌टी की जांच की जाती रही है, लेकिन इससे आगे बढ़कर मिट्‌टी में सूक्ष्म जीवों की जांच भी की जाएगी, जिससे जांच के सार्थक परिणाम निकले। उन्होंने कहा कि एमएचयू के वैज्ञानिक हर बात का ध्यान रखकर रिसर्च कर रहे हैं, किसानों के सुझाव लिए जाएगे ओर फिर उनके आधार पर रिसर्च को आगे बढ़ाया जाएगा। अनुसंधान निदेशक व कार्यशाला संयोजिका डॉ. बिमला ने माननीय कुलपति का कार्यक्रम में आने के लिए स्वागत किया ओर किसानों का आभार जताया।

एस आर योगी