डेस्क : पाकिस्तान के किराना हिल्स इलाके में स्थित एक न्यूक्लियर फैसलिटी में रेडिएशन लीक होने की रिपोर्ट्स आई थीं, लेकिन इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने इस बात की पुष्टि की है कि पाकिस्तान के किसी भी न्यूक्लियर फैसलिटी से कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ है. भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएईए के एक प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर स्पष्ट बयान दिया.
आईएईए के प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा, “हम उन रिपोर्ट्स से अवगत हैं जिनका आप जिक्र कर रहे हैं. उपलब्ध जानकारी के आधार पर, पाकिस्तान के किसी भी न्यूक्लियर फैसलिटी से कोई रेडिएशन लीक या रिलीज नहीं हुआ है.”
आईएईए का ‘इंसीडेंट और इमरजेंसी सेंटर’ अंतरराष्ट्रीय न्यूक्लियर और रेडियोलॉजिकल आपात स्थितियों और घटनाओं से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है, चाहे वे दुर्घटना, लापरवाही या जानबूझकर की गई कार्रवाई के कारण हों.
यह बयान अमेरिकी राज्य विभाग के एक प्रमुख प्रवक्ता टॉमी पिगॉट के बयान के समान था, जिन्होंने 13 मई को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा था कि अमेरिका पाकिस्तान में न्यूक्लियर रेडिएशन लीक की रिपोर्ट्स के बाद कोई टीम भेजने का विचार नहीं कर रहा है.
12 मई को भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल ए.के. भारती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट किया कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के किराना हिल्स में किसी न्यूक्लियर फैसलिटी को निशाना नहीं बनाया था. उन्होंने मजाक करते हुए कहा, “हमें तो यह भी नहीं पता था कि किराना हिल्स में कोई न्यूक्लियर इंस्टालेशन है. और हम वहां कुछ भी नहीं मारे हैं.”
किराना हिल्स पाकिस्तान के सर्गोधा जिले में एक विशाल पर्वतीय क्षेत्र है, जिसे स्थानीय तौर पर “ब्लैक माउंटेन्स” कहा जाता है. यह क्षेत्र रक्षा मंत्रालय के अधीन है और इसमें पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियाँ संचालित होती हैं.
भारत और पाकिस्तान के बीच 1988 में एक समझौता हुआ था, जिसे ‘Agreement on the Prohibition of Attack against Nuclear Installations and Facilities’ कहा जाता है. इस समझौते के तहत, दोनों देशों को हर साल 1 जनवरी को अपने न्यूक्लियर इंस्टालेशनों की जानकारी एक-दूसरे को देना होती है. यह समझौता 1991 में लागू हुआ और अब तक हर साल इस सूची का आदान-प्रदान किया जाता है.
इस साल भी, 1 जनवरी को 34वीं बार दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर इंस्टालेशनों की सूचियाँ साझा की गईं. इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर टकराव से बचाव करना है.
हालांकि कुछ रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के न्यूक्लियर फैसलिटी में रेडिएशन लीक होने की खबरें आईं, लेकिन आईएईए और भारतीय सरकार ने इन रिपोर्ट्स को नकारा किया है. दोनों देशों के बीच समझौते और सुरक्षा उपायों के तहत इस तरह के मुद्दों पर निगरानी रखी जाती है, और इस मामले में भी कोई रेडिएशन लीक होने की पुष्टि नहीं हुई है.