मार्च के नेतृत्वकर्ताओं ने की मांग- संविधान विरोधी वक्फ संशोधन विधेयक को हर हालत में वापस ले सरकार
कहा- वक्फ की संपत्तियों को कॉरपोरेट के हवाले करने की साजिश है वक्फ बिल
दरभंगा : वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ ‘संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ अभियान’ के बैनर तले हमीदिया मदरसा, किलाघाट से विशाल मार्च निकाला गया। मार्च के जरिए साम्प्रदायिक व संविधान विरोधी वक्फ संशोधन कानून को वापस लेने, संविधान पर भाजपा सरकार द्वारा खुल्लमखुल्ला हमला बंद करने तथा मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आजादी पर हमला बंद करने की मांग बुलन्द की गई।
मार्च का नेतृत्व नफीसुल हक रिंकू, डब्बू खान, इंसाफ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष नेयाज अहमद, मकसूद आलम उर्फ पप्पू खां, रुस्तम कुरैशी, मुमताज आलम अधिवक्ता, अम्बर इमाम हाशमी ‘छोटे मियां’, रियाज खान कादरी, मो. उमर, आश मोहम्मद, सचिन राम, जिला परिषद सदस्य हरि पासवान, भीम आर्मी के राजू पासवान, शनिचरी देवी, मो. जमाल हसन, साबिर हुसैन ‘लड्डू’, मुन्ना खान, आफताब अशरफ,अकरम सिद्दीकी, जावेद इकबाल, तारिक रजा, राजा अंसारी, फिरोज आलम, मो. आरजू अरुफ एवं मो. रियासत अली आदि ने किया। मार्च हमीदिया मदरसा से निकलकर नाका-5 होते हुए लहेरियासराय धरनास्थल पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया। धरनास्थल पर आयोजित सभा की अध्यक्षता ‘संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ अभियान’ के संयोजक सह अध्यक्ष नफीसुल हक ‘रिंकू’ ने की. संचालन मो. मुफ्ती शुभानी व रियाज खान कादरी ने किया।
सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने दृढ़तापूर्वक वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ आवाज बुलन्द की और मोदी सरकार के इस सांप्रदायिक और संविधान विरोधी दांव का विरोध किया। वक्ताओं ने कहा कि यह कानून एक समुदाय के प्रति दुराग्रहपूर्ण है और मुस्लिम समुदाय को संविधान में प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के आधिकार पर प्रत्यक्ष हमला है। यह विधेयक खुल्लमखुल्ला धर्मांध कानून निर्माण का कृत्य है। वक्ताओं ने कहा कि साल 2006 की न्यायमूर्ति राजिंदर सच्चर कमिटी की रिपोर्ट में यह बात आई थी कि वक्फ सामाजिक-धार्मिक संस्थान है जो कल्याणकारी गतिविधियों में लगे हैं। रिपोर्ट ने वक्फ बोर्डों को पर्याप्त आर्थिक और कानूनी सहयोग के जरिए इन्हें प्रशासनिक तौर पर मजबूत किए जाने की जरूरत पर बल दिया। इसके ठीक विपरीत प्रस्तावित विधेयक कानून में हिंदुत्व की राजनीतिक विचारधारा कूटरचना कर देना चाहती है। वक्ताओं ने कहा कि वक्फ बोर्डों, वक्फ परिषद और अन्य हितधारकों से किसी भी तरह के अर्थपूर्ण विचार विमर्श का अभाव विधेयक में रेखांकित किया जा सकता है। विधेयक गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्डों में शामिल करने का प्रावधान करता है, यह किसी भी कानून के तहत अप्रत्याशित कदम है जो जानबूझ कर मुस्लिमों को उनके संस्थानों के नियंत्रण से वंचित करता है।
वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने इस संविधान विरोधी कानून को तथाकथित सेकुलर पार्टी जदयू समेत अन्य सहयोगियों के सहारे इस विधेयक को संसद से पास करा लिया है, लेकिन जदयू के इस विश्वासघात को जनता नहीं भूलेगी, जिसने एक बार फिर वक्फ बोर्ड पर भाजपा के असंवैधानिक हमले के साथ स्वयं को संबद्ध कर लिया। जनता आनेवाले चुनाव में इसका करारा जवाब देगी। मोदी सरकार मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने, संविधान को तोड़ने- मरोड़ने और सभी नागरिकों के अधिकारों व स्वतंत्रताओं का क्षरण करने के नित नए रास्ते ढूंढने का अभियान जारी रखे हुए है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) ने मुस्लिमों को नागरिकता के मामले में निशाना बनाया, जो धर्म के आधार पर भेदभाव न करने के मूलभूत संवैधानिक सिद्धांत के विपरीत था। एकरूपता के आवरण में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाती है और अब उत्तराखंड के यूसीसी ने अंतरधार्मिक व अंतरजातीय विवाहों के साथ ही सहमति से वयस्कों के लिवइन संबंधों पर भी तीखा प्रहार कर दिया है।
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अल्पसंख्यक अधिकार, लोकतांत्रिक गणराज्य की अंबेडकर की परिकल्पना का केंद्रीय तत्व है। इस विधेयक ने एक बार फिर राज्य मशीनरी का प्रयोग अल्पसंख्यक अधिकारों को ध्वस्त करने तथा संवैधानिक गारंटियों को समाप्त करते हुए अपने सांप्रदायिक फासीवादी हमले को बढ़ाने के भाजपा के वास्तविक एजेंडे का पर्दाफ़ाश कर दिया है।
वक्ताओं ने इस विधेयक को खारिज करने के लिए पूरे देश की जनता का आह्वान करते हुए कहा कि इस असंवैधानिक कदम के विरुद्ध सभी मिलकर आंदोलन को तेज करें। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन कानून साम्प्रदायिक व संविधान विरोधी कानून है। भाजपा सरकार लगातार संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने मे जुटी है। भाजपा के तीसरी बार सत्ता में आते ही दलितों, महिलाओं और मुस्लिमों पर हमले तेज हो गए हैं। अब तो हर मस्जिद में मंदिर खोजना आम बात हो गई है। वक्फ संशोधन कानून काला कानून साबित होगा। आरएसएस और भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों की धार्मिक आजादी को कुचलने पर आमादा है। सभी सेकुलर और लोकतंत्र पसंद लोगों को इसका डटकर विरोध करना होगा। आज मोदी सरकार देश के दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर चौतरफा हमला कर रही है। बाबा साहब के संविधान पर हमला देश की आम आवाम बर्दाश्त नहीं करेगी। मोदी सरकार को आंदोलन के बल पर वक्फ संशोधन कानून वापस लेने के लिए बाध्य किया जाएगा।
मार्च के संयोजक नफीसूल हक ‘रिंकू’ ने बताया कि इस सभा और मार्च को 34 संगठनों व धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने अपना समर्थन व सहयोग देकर सफल बनाया। सभा को इमारत-ए-शरिया के अरशद रहमानी, भाकपा (माले) के अभिषेक कुमार, बैद्यनाथ यादव, भाकपा के राजीव चौधरी, अहमद अली, मो. तमन्ने, राजद के जिलाध्यक्ष उदय शंकर यादव, मिठ्ठू खेड़िया, पूर्व विधायक फराज फातमी, उपमहापौर नाजिया हसन, सरवर कमाल, अताउल्लाह खां पुत्तू, लड्डन खान, सोनू खान, रजनीश चौबे, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दयानंद पासवान, मसकुर उस्मानी, मुहर्रम कमिटी सचिव तनवीर आलम, गंगा मण्डल, मो. रिशु, समीर अल्फ़ाज़, देवेन्द्र कुमार एवं प्रिंस कुमार आदि ने सम्बोधित किया। सभा का समापन वक्तव्य पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन नफीसूल हक ‘रिंकू’ ने दिया।