एनएसएस छात्रों की समाज के प्रति संवेदनशीलता एवं कर्तव्यनिष्ठता का करता है मार्ग प्रशस्त : डॉ. चौरसिया
दरभंगा : एनएसएस शिक्षा का आंतरिक एवं व्यावहारिक अंग है जो छात्रों के बेहतरीन चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक है। यह युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील एवं कर्तव्यनिष्ठ बनाता है जो कम इनपुट में ही अधिक आउटपुट देने में सक्षम है। युवाओं को दिग्भ्रमित होने से बचाते हुए एनएसएस उनका समाजीकारण कर उन्हें प्रतिभावान बनाता है। यह छात्रों की समाज के प्रति संवेदनशीलता एवं कर्तव्यनिष्ठता का मार्ग प्रशस्त करता है। उक्त बातें मिल्लत कॉलेज, दरभंगा की एनएसएस इकाई के तत्वावधान में ‘विकसित भारत @ 2047’ विषय पर 30 जनवरी से स्थानीय शेर मोहम्मद भीगो मोहल्ला में आयोजित सात दिवसीय विशेष शिविर के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में समन्वयक डॉ. आरएन चौरसिया ने कही। उन्होंने कहा कि यह शिविर अवश्य ही उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा, जिससे वे अधिक व्यावहारिक, समाजोपयोगी तथा आत्मविश्वासी बन सकेंगे। एनएसएस सामाजिक सरोकारों से जुड़ा हुआ है जो युवा शक्ति को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का काम करता है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में स्नातकोत्तर खेल विभागाध्यक्ष डॉ. प्रियंका राय ने कहा कि युवा ही विकसित भारत के वाहक हैं। समाज ने हमें बहुत कुछ दिया है। हमें भी समाज को आगे बढ़ाना चाहिए। कोई भी काम छोटा नहीं होता, बल्कि उसे करना एक कला है। उन्होंने स्वयंसेवकों को आदर्श रूप बताते हुए आह्वान किया कि वे जमीन पर उतरकर स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि जनोपयोगी कार्यों के प्रति आमलोगों को प्रेरित एवं जागरूक करें।
सम्मानित अतिथि मारवाड़ी कॉलेज की एनएसएस पदाधिकारी डॉ. सुनीता कुमारी ने कहा कि एनएसएस दूसरों की सेवा के द्वारा अपने को श्रेष्ठ बनाने की कला सिखाता है। इससे जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्रीयता आदि का संकुचित भाव मिटता है। वहीं आरबीएस कॉलेज, बेगूसराय के पदाधिकारी डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि यह समरस समाज के विकास तथा विकसित राष्ट्र निर्माण में अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वाह करना सीखना है। इसका क्षेत्र अत्यंत ही व्यापक एवं बहुत महत्वपूर्ण है।
अध्यक्षीय संबोधन में भौतिक विभागाध्यक्ष प्रो. महेश चंद्र मिश्र ने कहा कि भूमंडलीकरण के इस युग में एनएसएस की प्रासंगिकता काफी बढ़ती जा रही है। इसके माध्यम से लोगों को शिक्षित एवं जागरूक कर भारत को आसानी से विकसित किया जा सकता है। यह शिविर परिसर से बाहर निकलकर समाज के लिए काम करने का एक सशक्त माध्यम है, जिससे छात्र अधिक कर्मयोगी बनते हैं।
स्वयंसेविका ताहिरा एवं मो. शहाबुद्दीन ने 7 दिनों में संपन्न शिविर-गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी। अतिथियों का स्वागत पाग एवं चादर से किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथि स्वागत कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सोनी शर्मा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शहनवाज आलम ने किया। शिविर में डॉ. जमशेद आलम, डॉ. शाहिद इकबाल, डॉ. कामिनी चौधरी, मो. महबूब, नूरुल, सालेहा, मो. समीर, उजमा रहमान, जीना, मेहर, दुरैया नयाब, आयशा सिद्दीकी, जुबैरिया वसीम, आलिया दस्तगीर, मो. अफसार, मो. अयान, लैबा परवीन, आयुषी, कल्याणी आदि ने सक्रिय सहयोग किया, जिन्हें मेडल आदि से सम्मानित किया गया।