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बिहार : सरकारी नौकरी वाले दुल्हे की बढ़ी डिमांड, रेट भी हुआ हाई

बिहार : बिहार में दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन इसके बावजूद यह प्रथा पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाई है, बल्कि इसमें तेजी से वृद्धि हो रही है। खासकर सरकारी नौकरी करने वालों की शादी में दहेज की मांग और भी बढ़ गई है।

सरकारी दूल्हे की डिमांड में खासा इजाफा हुआ है, और अब यह एक प्रकार की मार्केट में तब्दील हो गई है, जहां शादी के लिए दहेज में जमीन, गहने, गाड़ी, और नकद राशि की भारी मांग की जाती है।

लंबी डिमांड वाले सरकारी दूल्हे

बिहार में सरकारी दूल्हों के लिए दहेज की मांग का एक अलग ही बाजार बन गया है। सरकारी नौकरियों में नियुक्त व्यक्ति, जैसे कि बिहार सरकार के कर्मचारी, बैंक पीओ, एसडीओ, बीडीओ, या फिर आईएएस-आईपीएस जैसे उच्च पदों पर बैठे लोग, अपनी शादी के लिए अनगिनत मांगें रखते हैं। इन मांगों में कैश, गहने, गाड़ी, और भूमि शामिल होती हैं।

बिहार में सरकारी दूल्हे की डिमांड, देखें दहेज रेट?

फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी: 6-8 लाख से ज्यादा दहेज, क्लर्क: 12-14 लाख तक दहेज।

बैंक पीओ: 20-24 लाख दहेज। दारोगा: 20-22 लाख दहेज, BPSC टीचर: 18-20 लाख

सरकारी इंजीनियर (बिहार): 30-34 लाख, सरकारी डॉक्टर(बिहार): 30-34 लाख।

सरकारी इंजीनियर (केंद्र): 28-32 लाख, बीडीओ/सीओ: 32-38 लाख, आईएएस-आईपीएस: मुंह मांगी कीमत

दहेज में अन्य चीजें

दहेज में केवल नकद राशि और गहने ही नहीं, बल्कि खाने-पीने की मेन्यू से लेकर शादी के कार्यक्रम के हर छोटे-बड़े सामान की सूची भी दी जाती है। खासकर सरकारी नौकरी वालों के लिए यह बेहद अहम हो जाता है कि उनकी शादी में खर्च पूरी तरह से उच्चतम स्तर का हो। पद के अनुसार बाइक, कार की भी मांग की जाती हैं।

जाति और क्लास के अनुसार दहेज

बिहार में जाति और क्लास के हिसाब से दहेज की रकम भी अलग-अलग होती है। जैसे भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ, कोईरी-कुर्मी, और यादव जातियों में अगर लड़के के पास दो-चार बीघा ज़मीन हो, तो दहेज की मांग भी बढ़ जाती है। यहां तक कि अगर लड़के के नाम पर घर हो, तो दहेज में और बढ़ोतरी हो जाती है।

सरकार की कोशिशें और वास्तविकता

कई सालों से बिहार सरकार दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए कई योजनाएं और अभियानों का संचालन कर रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि ये प्रथा अब भी जड़ें जमा चुकी है। सरकारी प्रयासों का असर अब तक उस तरह से नहीं हुआ है, जैसा अपेक्षित था। शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और कानूनी उपायों के बावजूद दहेज की मांग बढ़ती ही जा रही है, खासकर जब सरकारी नौकरी करने वाले लोग अपने लिए जीवनसाथी चुनते हैं।

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