लखनऊ : नगर निगम सीमा में शामिल 88 गांवों के नागरिक चार साल से विकास की बाट जोह रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिसम्बर 2019 में लखनऊ के 88 गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल करने हेतु आदेश जारी किया था, जिससे नागरिकों में खुशी व्याप्त हो गई थी कि उनके क्षेत्रों का भी प्रदेश की राजधानी की तरह ही विकास होगा, परन्तु चार साल बीतने के बाद भी सरकार द्वारा विकास कार्य शुरू न होने के कारण निराशा व्याप्त हो गई है। विस्तारित ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानी समाप्त हो जाने से पंचायत विभाग ने सारे फण्ड बन्द कर दिए थे तथा विकास कार्य ठप हो गये। नगर निगम के द्वारा भी वृहद स्तर पर विकास कार्यों हेतु कोई कार्रवाई नहीं की गई है और विस्तारित क्षेत्रों से गृह कर की वसूली की प्रक्रिया भी 2020 से दण्डात्मक ब्याज सहित शुरू कर दी गई है जबकि अपर मुख्य सचिव, नगर विकास, उत्तर प्रदेश के पत्र संख्या 1688/नौ-9-2021-85 ज दिनांक 19 अगस्त 2021 से उ०प्र० नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 177 के प्रावधानों के अन्तर्गत गृह कर वसूली पर रोक लगाई थी, परन्तु नगर निगम, लखनऊ के अधिकारी शासनादेश का उल्लंघन कर गृहकर वसूली हेतु नोटिसें भेज रहे हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित विस्तारित क्षेत्रों में तो विकास कार्य प्राधिकरण करा रहा है, परन्तु प्रधानी क्षेत्र के नागरिक अनाथ हो गए।
ग्रेटर लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष रूप कुमार शर्मा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा, अपर मुख्य सचिव, नगर विकास विभाग को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर नगर निगम सीमा में शामिल 88 गांवों के विकास हेतु शीघ्र आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है तथा नगर विकास विभाग के शासनादेश की अवहेलना कर लखनऊ के विस्तारित ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों से 2020 से गृहकर की वसूली पर रोक लगाने की मांग भी की है। इस सम्बन्ध में लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल तथा नगर आयुक्त को भी पत्र की प्रतिलिपि ईमेल से भेजी गई है।