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स्पर्धा से बच्चों में बढ़ती है जागृति : कुलपति

दो दिवसीय बिहार-झारखंड स्तरीय शास्त्रीय प्रतियोगिता का हुआ उद्घाटन

दरबार हॉल में जुटे बिहार-झारखंड के छात्र

दरभंगा। छात्रों के बीच स्पर्धा व प्रतियोगिता लगातार होनी चाहिए। बच्चे सफलता पाने के लिए लगन के साथ कड़ी मेहनत करते हैं। इससे न केवल उनमें जागृति आती है, बल्कि उनके शैक्षणिक स्तर में भी इजाफा होता है। मंगलवार को संस्कृत विश्वविद्यालय मुख्यालय के दरबार हॉल में आयोजित दो दिवसीय शास्त्रीय स्पर्धा कार्यक्रम का सभी विभागाध्यक्षों एवं छात्र कल्याण अध्यक्ष के साथ संयुक्त रूप से उद्घाटन करने के बाद कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने उक्त बातें कही। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली एवं संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस शास्त्रीय प्रतियोगिता में बिहार-झारखंड के छात्र भाग ले रहे हैं। समापन कल 29 जनवरी को होगा। सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि विभिन्न विधाओं में स्पर्धा आयोजित है । सभी अपना सर्वोत्तम देने का प्रयास करें, फिर उन्हें केंद्रीय स्पर्धा में भी भाग लेना है। वहीं, निर्णायक मंडल सदस्यों से भी उन्होंने अपील की कि जो प्रतिभागी सभी मानकों को पूरा करते हुए सफल होते हैं, उन्हीं उत्तम छात्रों का चयन करें, यानी गुणवत्तापूर्ण चयन में कोताही नहीं करने की उन्होंने वकालत की। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि डीन डॉ. शिवलोचन झा के नेतृत्व में डॉ. यदुवीर स्वरूप शास्त्री एवं डॉ. अवधेश श्रोत्रीय ने कार्यक्रम का सफल संयोजन किया।

इन विधाओं में हुई प्रतियोगिता

मंगलवार को उद्घाटन सत्र के बाद अमरकोष कण्ठपाठ, अष्टाध्यायी कण्ठपाठ, धातुरूप कण्ठपाठ, भगवद्गीता कण्ठपाठ, सुभाषित कण्ठपाठ, रामायण कण्ठपाठ, उपनिषद कण्ठपाठ, अक्षरश्लोकी समेत शास्त्रीय स्फूर्ति स्पर्धा का आयोजन किया गया। करीब पांच दर्जन से अधिक बच्चों ने आज स्पर्धा में भाग लिया। वहीं, निर्णायक मंडल में शामिल प्रो. दयानाथझा, प्रो. दिलीप कुमार झा, प्रो. पुरेन्द्र वारिक, प्रो. विनय कुमार मिश्र, डॉ. दीनानाथ साह, डॉ. घनश्याम मिश्र, डॉ. संजीत कुमार झा, डॉ. छविलाल न्योपाने, डॉ. शिवानन्द शुक्ल, डॉ. साधना शर्मा, डॉ. रामसेवक झा, डॉ. संजीत कुमार झा, डॉ. छविलाल न्योपाने ,डॉ. ध्रुव मिश्र, डॉ. ममता स्नेही, डॉ. सन्तोष कुमार तिवारी, डॉ. देवहुति कुमारी ने बखूबी अपने दायित्वों का निर्वहन किया।

 

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