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USA : ट्रंप के बर्थराइट सिटिजनशिप आदेश पर विवाद ! 22 राज्यों और गर्भवती महिलाओं ने कोर्ट में दी चुनौती

डेस्क : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के पहले ही दिन, उनके द्वारा जारी किए गए एक विवादास्पद कार्यकारी आदेश ने अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन पर सवाल खड़ा कर दिया है. इस आदेश में अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों के नागरिकता अधिकार को सीमित करने की कोशिश की गई है. यह आदेश न केवल अमेरिकी संविधान के खिलाफ है, बल्कि यह लाखों अप्रवासी परिवारों के लिए नई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, विशेष रूप से उन परिवारों के लिए जो गर्भवती हैं और जिनके बच्चे अमेरिका में जन्म लेने वाले हैं. इस आदेश के खिलाफ कई राज्य सरकारों, नागरिक अधिकार संगठनों और गर्भवती महिलाओं ने अदालत का रुख किया है.

ट्रंप के द्वारा जारी किए गए इस आदेश में यह कहा गया है कि अमेरिका में जन्मे बच्चे को नागरिकता तभी मिलेगी, जब बच्चे की मां अमेरिका में अवैध रूप से रह रही हो या अस्थायी रूप से वैध स्थिति में हो, और बच्चे का पिता अमेरिकी नागरिक या स्थायी निवासी न हो. इसके तहत, अमेरिका में जन्मे ऐसे लाखों बच्चों को नागरिकता से वंचित किया जा सकता है.

यह आदेश 14वें संशोधन के विपरीत है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “अमेरिका में जन्म लेने वाले सभी लोग अमेरिकी नागरिक होते हैं,” चाहे उनके माता-पिता की नागरिकता की स्थिति कुछ भी हो. यह आदेश न केवल अप्रवासी परिवारों के लिए चुनौती प्रस्तुत करता है, बल्कि यह अमेरिकी संविधान और उसके नागरिक अधिकारों को भी सीधे तौर पर प्रभावित करता है.

14वां संशोधन अमेरिकी संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि “अमेरिका में जन्मे सभी व्यक्ति और जो प्राकृतिक रूप से अमेरिकी नागरिक बनते हैं, वे अमेरिकी नागरिक होते हैं.” यह संशोधन विशेष रूप से अमेरिका में जन्मे बच्चों के नागरिकता अधिकारों की रक्षा करता है. यह संशोधन 1868 में अमेरिकी गृहयुद्ध के बाद विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए पास किया गया था कि कोई भी अमेरिकी नागरिक, चाहे वह रंग, जाति, धर्म या पृष्ठभूमि से हो, अपनी नागरिकता से वंचित न हो.

इसलिए, ट्रंप का कार्यकारी आदेश अमेरिकी संविधान की उस धारा के खिलाफ है, जो अमेरिका में जन्मे बच्चों को नागरिकता देने का अधिकार देती है. 1898 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सिद्धांत को स्पष्ट किया था कि अमेरिका में जन्मे बच्चे नागरिक होते हैं, भले ही उनके माता-पिता अप्रवासी हों.

इस आदेश के खिलाफ सबसे बड़ा विरोध उन गर्भवती महिलाओं का है, जिनके बच्चे अमेरिका में जन्म लेने वाले हैं. इनमें से कई महिलाएं अस्थायी संरक्षित स्थिति (TPS) के तहत अमेरिका में रह रही हैं, और उनके लिए यह आदेश चिंता का कारण बन गया है. उदाहरण के लिए, मैसाचुसेट्स की एक गर्भवती महिला, जो अस्थायी संरक्षित स्थिति में हैं, का कहना है कि उनका बच्चा अमेरिका में जन्म लेने के बावजूद नागरिकता से वंचित रहेगा.

मोनिका नामक एक गर्भवती महिला, जो इस मामले में एक प्रमुख याचिकाकर्ता हैं, ने कहा, “मैंने अपने देश में उत्पीड़न से बचने के लिए अमेरिका में शरण ली थी, और अब मुझे यह सुनकर आश्चर्य हो रहा है कि सरकार मेरे बच्चे को अमेरिकी नागरिकता नहीं देना चाहती.” उनके अनुसार, अगर उनके बच्चे को अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलती, तो उनके परिवार की स्थिति अत्यंत कठिन हो जाएगी, क्योंकि वे अपने देश वापस नहीं जा सकते और न ही उन्हें कहीं और नागरिकता मिल सकती है.

ट्रंप के आदेश के खिलाफ 22 अमेरिकी राज्यों के अटॉर्नी जनरल और कई नागरिक अधिकार संगठनों ने अदालत का रुख किया है. इन संगठनों का आरोप है कि यह आदेश संविधान के खिलाफ है और यह अमेरिका में जन्मे लाखों बच्चों को नागरिकता से वंचित करेगा. न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल, लेटिटिया जेम्स ने कहा, “हमारा संविधान किसी भी कार्यकारी आदेश या राष्ट्रपति की घोषणा के लिए खुला नहीं है.”

इस मामले में कई अप्रवासी अधिकार संगठनों ने अदालत में यह याचिका दायर की है कि यह आदेश “स्पष्ट रूप से असंवैधानिक” है और अमेरिका के मूलभूत नागरिक अधिकारों को चुनौती देता है. इन संगठनों का कहना है कि इस आदेश से अमेरिका में जन्मे बच्चों को नागरिकता से वंचित कर दिया जाएगा, जिससे वे पूरे जीवनभर समाज से अलग-थलग और निर्वासित महसूस करेंगे.

इस आदेश का प्रभाव अमेरिकी समाज पर बहुत ही नकारात्मक हो सकता है. यदि यह आदेश लागू होता है, तो अमेरिकी नागरिकों को कई अधिकारों से वंचित किया जा सकता है, जैसे कि पासपोर्ट, सोशल सिक्योरिटी नंबर, और अन्य सरकारी लाभ. इससे उन बच्चों का भविष्य अंधेरे में हो सकता है, जिनका जन्म अमेरिका में हुआ है, क्योंकि वे किसी भी नागरिक अधिकार का दावा नहीं कर पाएंगे.

इसके अलावा, यह आदेश संविधान के पांचवें संशोधन का भी उल्लंघन करता है, क्योंकि यह अमेरिका में जन्मे बच्चों को “अल्पवर्गीय नागरिक” के रूप में दर्ज करता है, जो उनके बराबरी के अधिकारों से वंचित होते हैं.

यह आदेश न केवल अप्रवासी समुदाय के लिए समस्या उत्पन्न करेगा, बल्कि यह अमेरिकी संविधान के उन मूलभूत सिद्धांतों को भी चुनौती देगा, जो अमेरिका को “सभी के लिए” समान अधिकारों का देश बनाते हैं. नागरिक अधिकार संगठनों का कहना है कि यह आदेश अमेरिकी जीवन के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और इसका प्रभाव अप्रवासी परिवारों पर बहुत ही गंभीर होगा.

संगठनों का कहना है कि “जन्मस्थान, न कि वंश, इस देश में नागरिकता का निर्धारण करता है,” और “संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि अमेरिका में जन्मे लोग नागरिक होते हैं, न कि उनके माता-पिता के नागरिकता स्थिति पर निर्भर करते हुए.”

यह विवाद न केवल ट्रंप के आदेश के कानूनी प्रभावों पर केंद्रित है, बल्कि यह अमेरिकी समाज और संविधान की बुनियादी समझ को भी चुनौती देता है. अब यह अदालत पर निर्भर करेगा कि वह इस आदेश को असंवैधानिक ठहराती है या नहीं, और इसके परिणामस्वरूप देश के नागरिकता कानूनों में क्या बदलाव होते हैं.

 

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