उत्तराखंड : राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों का बिगुल बज चुका है और राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ है। इस बीच, राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए 23 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश का ऐलान किया है।
यह फैसला मतदाताओं के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, जिससे वे बिना किसी बाधा के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। आइए, इस घोषणा और चुनाव की तैयारियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
23 जनवरी को स्कूलों की छुट्टी की घोषणा
उत्तराखंड राज्य में 23 जनवरी 2025 को होने वाले निकाय चुनावों के मद्देनजर, राज्य सरकार ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है।
यह निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग के सुझाव पर लिया गया है ताकि चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हो सके और मतदाताओं को मतदान करने में कोई असुविधा न हो।
सार्वजनिक अवकाश का आदेश जारी
उत्तराखंड शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 25 के तहत, 23 जनवरी को प्रदेश के सभी नगर निकायों में सार्वजनिक अवकाश रहेगा। इस दौरान सभी सरकारी कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान, अर्द्ध-निकाय और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।
इस फैसले का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदान में लगे कर्मचारी अपनी ड्यूटी पूरी कर सकें और अधिक से अधिक नागरिक मतदान प्रक्रिया में भाग ले सकें।
कर्मचारियों और कार्यालयों के लिए विशेष निर्देश
सरकार के आदेशानुसार, 23 जनवरी को सभी राज्य सरकार के कार्यालय, स्कूल, कॉलेज और व्यवसायिक संस्थान बंद रहेंगे। इसके अतिरिक्त, मतदान क्षेत्रों में स्थित कोषागार और उपकोषागार भी बंद रहेंगे।
यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा न आए और सभी मतदाता शांतिपूर्ण ढंग से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
निर्वाचन प्रक्रिया और प्रेक्षकों की भूमिका
राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त सुशील कुमार ने एक बैठक में बताया कि चुनाव प्रक्रिया में प्रेक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रेक्षकों को चुनावी कार्यों, दायित्वों, आदर्श आचार संहिता और प्रत्याशियों द्वारा किए जाने वाले खर्च की सीमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी प्रेक्षकों को मतदान और मतगणना की पूरी जानकारी हो, जिससे वे चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोक सकें। प्रेक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करें और पारदर्शिता बनाए रखें।