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दरभंगा : वृहद परिभाषिक शब्द संग्रह इंजीनियरिंग अंग्रेजी-हिंदी-मैथिली के लिए विशेषज्ञ सलाहकार समिति ने की बैठक

छह दिवसीय कार्यशाला का LNMU के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने किया समापन

दरभंगा (नासिर हुसैन)। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान में वृहद परिभाषिक शब्द संग्रह इंजीनियरिंग अंग्रेजी-हिंदी-मैथिली के लिए विशेषज्ञ सलाहकार समिति ने बैठक की। इस दौरान संस्थान के निदेशक प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा द्वारा एलएनएमयू के कुलपति . संजय कुमार चौधरी और वैज्ञानिक एवं तकनीकी आयोग से आए पदाधिकारियों दीपक कुमार एवं सुमित कुमार को मिथिला की परम्परा के अनुसार पाग-चादर एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। कुलपति ने इंजीनियरिंग के त्रिभाषा शब्द संग्रह (अंग्रेजी- हिन्दी-मैथिली) के निर्माण कार्य की सराहना की। कुलपति ने कहा कि इससे मैथिली भाषा के विकास में सहायता मिलेगी, साथ ही यह छात्रों और शोधकर्ताओं को अपनी मातृभाषा में तकनीकी शब्दों को समझने में सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस शब्द संग्रह से मैथिली भाषा में तकनीकी विषयों के पुस्तकों का लेखन कार्य आसान हो जाएगा, जिससे तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुपालन, प्रक्रिया, महत्व और इसके प्रभाव पर भी विस्तृत चर्चा की गई। कुलपति प्रो. चौधरी ने बताया कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में समग्र सुधार लाना है, जिससे सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। उन्होंने शिक्षण के नए तरीकों और तकनीकी शब्दावली के प्रयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस शब्दकोष से इन विषयों में होने वाले पुस्तक लेखन में सरलता एवं एकरूपता आएगी। प्रो. चौधरी ने सभी प्रतिभागियों से इस बैठक से संबंधित कई सवाल पूछे तथा उनलोगों के साथ इस शब्दावली निर्माण प्रक्रिया को और अधिक सरल एवं प्रभावी बनाने की प्रक्रिया पर गंभीर विमर्श किया।

बैठक का संचालन आयोग के अधिकारियों दीपक कुमार और सुमित कुमार भारती ने किया। उन्होंने बताया कि इस बैठक में तकनीकी विषय के विशेषज्ञ और मैथिली भाषा के विशेषज्ञ शामिल हुए, जिन्होंने 18 हजार शब्दावली निर्माण प्रक्रिया में सक्रिय भाग लिया। प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा ने कहा कि संस्थान में इस प्रकार की बैठकें न केवल शिक्षकों और छात्रों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी लाभकारी होती हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल से मैथिली भाषा को एक नई पहचान मिलेगी और यह तकनीकी क्षेत्र में भी अपना स्थान बना सकेगी। बैठक के अंत में प्रो. मिश्रा ने सभी उपस्थित लोगों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने भविष्य में भी इस प्रकार के सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि तकनीकी शब्दावली का निर्माण एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें सभी का सहयोग आवश्यक है। यह कदम न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी फायदेमंद होगा।

 

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