डेस्क : गुजरात (Gujarat) के राजकोट (Rajkot) से एक हैरान परेशान कर देनेवाला मामला सामने आया है, जिसके बाद से लोग अब अस्पतालों की विश्वसनीयता पर अब शायद ही भरोसा कर पाए. गुजरात के राजकोट के एक अस्पताल में महिलाओं की स्त्री रोग संबंधी जांच के दौरान रिकॉर्ड किए गए सीसीटीवी फुटेज के पोर्न साइट्स (Porn Sites) पर लीक होने की घटना सामने आयी है. मामला इस साल फरवरी 2025 में सामने आया. राजकोट के पायल मैटरनिटी होम (Payal Maternity Home) की महिलाओं के निजी फुटेज न केवल पोर्न साइट्स पर अपलोड किए गए, बल्कि टेलीग्राम ग्रुप्स पर बिक्री के लिए भी डाले गए. उस समय अस्पताल प्रशासन का कहना था कि उनका सीसीटीवी सर्वर हैक कर लिया गया था. इस हैकिंग का कारण कमजोर पासवर्ड बताया जा रहा है.
हॉस्पिटल में काम करनेवाले डॉक्टर अमित अकबरी ने बताया,’“हमें बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि हमारे वीडियो कैसे वायरल हो गए. ऐसा लग रहा है कि हमारे सीसीटीवी सर्वर को किसी ने हैक किया है. हम इस मामले की जानकारी पुलिस को देंगे.”
इस मामले में कुछ हैकरों को फरवरी में गिरफ्तार किया गया. लेकिन इसके बाद भी जून में ये वीडियो बिक्री के लिए टेलीग्राम पर उपलब्ध थे. हैकिंग का यह जाल सिर्फ गुजरता तक नहीं बल्कि दिल्ली, पुणे, मुंबई, नासिक, सूरत और अहमदाबाद सहित कम से कम 20 राज्यों में सक्रिय था. अब तक की जांच से पता चला है कि 80 से अधिक सीसीटीवी डैशबोर्ड, जिनमें अस्पताल, स्कूल, ऑफिस, मॉल और निजी घर शामिल हैं, अपराधियों के नियंत्रण में पाए गए.
जांच एजेंसियों ने बताया कि देशभर के कई स्थानों पर डिजिटल सुरक्षा और पासवर्ड प्रबंधन की भारी लापरवाही बरती गई थी. अधिकांश सीसीटीवी डैशबोर्ड में डिफ़ॉल्ट पासवर्ड “admin123” ही सेट था, जिसे बदला ही नहीं गया. अपराधियों ने इस कमी का फायदा उठाते हुए ब्रूट-फोर्स अटैक (brute-force attack) का इस्तेमाल किया। यानी संभावित पासवर्डों के लाखों संयोजन आज़माकर सिस्टम में प्रवेश किया. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑपरेशन का मुख्य हैकर पारित धमेलिया, जो एक बीकॉम ग्रेजुएट है, उसने तीन अलग-अलग सॉफ़्टवेयर टूल्स के जरिए लॉगिन क्रेडेंशियल इकठ्ठा किये, वहीं, उसका साथी रोहित सिसोदिया ने उन क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल करके रिमोट व्यूइंग टूल्स के ज़रिए सीसीटीवी डैशबोर्ड तक पहुंच बनाई.
अपराधियों ने साल 2024 में मात्र नौ महीनों के भीतर देशभर से करीब 50,000 क्लिप्स एकत्रित कीं. इन क्लिप्स के टीज़र वीडियो “सीपी मोंडा” और “मेघा एमबीबीएस” जैसे YouTube चैनलों पर अपलोड किए थे. ये लिंक टेलीग्राम चैनलों की ओर ले जाते थे, जहां पूरे वीडियो ₹700 से ₹4000 में बेचे जा रहे थे.
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला मजबूत पासवर्ड, नियमित डिजिटल ऑडिट, और टू फैक्टर वेरिफिकेशन (2FA) की अत्यावश्यकता की ओर इशारा करता है. अस्पतालों जैसे संवेदनशील संस्थानों में, जहां मरीजों की निजता और डेटा दोनों दांव पर होते हैं, सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करना सीधे मानव अधिकारों और गोपनीयता का उल्लंघन है.
