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शास्त्रीय विवेचना से तैयार होगी नई प्रतिभा : कुलपति

कहा- मिथिला की शास्त्रार्थ परम्परा भी होगी जीवंत

दरभंगा। संस्कृत विश्वविद्यालय में गठित शास्त्र समवर्धनी परिषद के त्वावधान में गुरुवार को पहली बार खुले मंच पर श्यामा मंदिर परिसर में शास्त्रीय विवेचना का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि शास्त्र संवर्धिनी परिषद की यह शास्त्रार्थ विचार श्रृंखला निश्चित ही छात्रों में एक नया जोश भरेगी। यहां से बहुत सारे छात्र शास्त्रार्थी के रूप में तैयार होंगे जो भारत स्तर पर अपनी प्रतिभा को बिखरेंगे। साथ ही मिथिला की शास्त्रार्थ परंपरा भी ऐसे कार्यक्रमों से पुनर्जीवित होगी। वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व्याकरणाचार्य प्रो0 सुरेश्वर झा
ने कहा कि मिथिला में शास्त्रीय परंपरा पुनरजीवित करने के लिए कुलपति का अभिनंदन है, वंदन है। उन्होंने उपस्थित जनों से कहा कि यह शास्त्रार्थ परंपरा सतत चलनी चाहिए। इससे नई पौध भी तैयार होते हैं। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि शास्त्र सम्वर्धनी परिषद विश्वविद्यालय में लगातार ऐसे कार्यक्रमों को आयोजित करते आ रही है। डॉ यदुवीर स्वरूप शास्त्री के संयोजकत्व में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. शम्भू शरण तिवारी ने किया जबकि स्वागत भाषण डॉ. दयानाथ झा ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. एल सविता आर्या ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में शिक्षक, छात्र व शोधार्थी भी शामिल हुए।

 

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