मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं में राष्ट्रीयता, स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार की भावना को ज्यादा जगह दी गयी है। उनकी कविताओं में एक अनोखी शैली और भावनात्मक गहराई है जो पाठकों को हरदम आकर्षित करती है। उनका साहित्यिक योगदान महत्वपूर्ण व अतुलनीय है।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ एवं नेहरू महाविद्यालय ललितपुर के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि श्री गणेश गिरिवर संस्कृत महाविद्यालय, पटना के प्राचार्य डॉ बालमुकुंद मिश्र ने शुक्रवार को कही। उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड परिक्षेत्र के नेहरू महाविद्यालय परिसर के तुलसी सभागार में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी का आज का विषय राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की स्मृति में गद्य एवं पद्य था। मौके पर डॉ मिश्र ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्तएक महान कवि और साहित्यकार थे जिन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनकी स्मृति में गद्य एवं पद्य लिखना एक सार्थक प्रयास हो सकता है जो उनकी साहित्यिक विरासत को जीवित रखेगा और यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम में पूरे देश के नामी कवि व लेखक भाग ले रहे हैं।
