प्रादेशिक बिहार

बिहार को मोदी सरकार का तोहफा, ₹7616 करोड़ के हाईवे और कई रेलवे प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी

डेस्क : केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने बिहार के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 7,616 करोड़ रुपये के दो बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता वाली बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने जानकारी दी कि इसमें एक चार-लेन ग्रीनफील्ड हाईवे और एक अहम रेलवे लाइन का विस्तार शामिल है.

बिहार में मोकामा से मुंगेर तक 82.4 किमी लंबा चार-लेन एक्सेस-कंट्रोल्ड हाईवे बनाया जाएगा. यह बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर का हिस्सा होगा और हाइब्रिड ए뉴टी मॉडल (HAM) पर 4,447.38 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगा. यह हाईवे मोकामा, बरहिया, लखीसराय, जमालपुर और मुंगेर जैसे महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ते हुए भागलपुर तक पहुंच बनाएगा.

इससे यात्रा समय घटकर मात्र 1.5 घंटे रह जाएगा और 100 किमी/घंटा की स्पीड से सुरक्षित सफर संभव होगा. क्षेत्र के औद्योगिक केंद्रों मुंगेर का ऑर्डनेंस फैक्ट्री, जमालपुर का लोकोमोटिव वर्कशॉप और भागलपुर का सिल्क व टेक्सटाइल हब को बड़ी राहत मिलेगी.

यह प्रोजेक्ट करीब 14.83 लाख मानव-दिवस का प्रत्यक्ष और 18.46 लाख मानव-दिवस का अप्रत्यक्ष रोज़गार पैदा करेगा. हाईवे बनने के बाद औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियां तेज़ होंगी, जिससे स्थानीय व्यवसायों और किसानों को भी फायदा मिलेगा.

दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट 3,169 करोड़ रुपये की लागत से भागलपुर-दमका-रामपुरहाट रेलवे लाइन का डबलिंग है. यह लाइन बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ती है और बेहद व्यस्त सेक्शन है.

इससे रेल कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जाम की समस्या कम होगी और यात्रियों के साथ-साथ माल ढुलाई की दक्षता बढ़ेगी. यह लाइन देवघर (बाबा बैद्यनाथ धाम) और तारापीठ (शक्ति पीठ) जैसे तीर्थस्थलों तक पहुंच आसान बनाएगी.

इस रेलवे प्रोजेक्ट से 441 गांवों और करीब 28.72 लाख लोगों को सीधा लाभ मिलेगा. तीन आकांक्षी ज़िलों बांका, गोड्डा और दुमका के विकास को नई गति मिलेगी.

इससे लॉजिस्टिक्स लागत कम होगी, हर साल लगभग 5 करोड़ लीटर तेल की बचत होगी और 24 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा जो लगभग 1 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है.

ये दोनों प्रोजेक्ट न सिर्फ बिहार की सड़क और रेल कनेक्टिविटी को आधुनिक बनाएंगे, बल्कि राज्य के औद्योगिक, कृषि और पर्यटन क्षेत्रों में नई संभावनाएं खोलेंगे. चुनावी वर्ष में यह निर्णय राज्य के लिए एक बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर बूस्ट माना जा रहा है.

 

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