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‘इतना भीषण धमाका था कि रात में ही दिन हो गया’, ईरान में 14000 किलो का बम गिरानेवाले अमेरिकी पायलट का बयान

डेस्क : एक अमेरिकी वायु सेना के पायलट ने ईरान के भूमिगत परमाणु ठिकाने पर हुए हमले का आंखों देखा हाल बयां किया है. उसने बताया, “मैंने अपनी ज़िंदगी में इतना तेज़ धमाका कभी नहीं देखा, ऐसा लगा जैसे दिन निकल आया हो.” पायलट ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर गिराए गए 14,000 किलो के बम के धमाके की बात कर रहा था. यह पायलट उस टॉप-सीक्रेट मिशन का हिस्सा था जिसे ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नाम दिया गया था.

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय, पेंटागन ने 21 जून को हुए इस हमले की जानकारी जारी की है. इस मिशन को B-2 स्टील्थ बॉम्बर विमानों ने अंजाम दिया था, जो दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आते. इस हमले के पीछे सालों की तैयारी, आधुनिक हथियारों का विकास और खुफिया जानकारी जुटाने का काम शामिल था.

ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन, जनरल डैन केन ने बताया कि यह मिशन बहुत जोखिम भरा था. मिसाइल लॉन्च करने वाले एयरफोर्स के जवान जब अमेरिका के मिसौरी एयरबेस से उड़े थे, तो उन्हें यह भी नहीं पता था कि वे वापस लौटेंगे भी या नहीं. एक कमांडर ने जनरल केन को बताया, “यह हमारे परिवारों की ज़िंदगी का वो पल था जिसे वे कभी नहीं भूल पाएंगे.”

यह ऑपरेशन तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर लॉन्च किया गया था. इसमें ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान को निशाना बनाया गया. इनमें से फोर्डो को सबसे मुश्किल टारगेट माना जाता था क्योंकि इसे एक पहाड़ के अंदर बहुत गहराई में बनाया गया था, ताकि किसी भी पारंपरिक हमले से इसे बचाया जा सके.

जनरल केन के मुताबिक, फोर्डो प्लांट में हवा आने-जाने के लिए दो मुख्य रास्ते थे. हमले से कुछ ही दिन पहले ईरान ने इन रास्तों को कंक्रीट की मोटी सिल्लियों से बंद करने की कोशिश की थी, ताकि इसे किसी भी हमले से बचाया जा सके.

लेकिन अमेरिका को ऐसे किसी कदम का अंदेशा पहले से ही था. पेंटागन खास तौर पर ऐसे ही मज़बूत भूमिगत ठिकानों के लिए एक विशेष बम विकसित कर रहा था. इसका नाम है GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP). यह 14,000 किलो का स्टील-कवच वाला बम है, जिसे ‘बंकर-बस्टर’ भी कहा जाता है.

जनरल केन ने बताया कि सभी छह बम अपने तय निशानों पर लगे. बमों की सीधी टक्कर से ज़्यादा तबाही धमाके से पैदा हुए दबाव और शॉक वेव से हुई, जो सुरंगों के अंदर फैल गई और वहां मौजूद सारे उपकरणों को नष्ट कर दिया.

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ को शुक्रवार, 20 जून को शुरू किया गया और विमान रविवार, 22 जून को वापस लौटे. जब विमान वापस आए, तो उनके परिवार वाले एयरबेस पर उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे.

यह हमला अमेरिका के लिए एक बड़ी सफलता माना जा रहा है. इसने अमेरिकी सेना की सटीक योजना, ताकत और टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन किया है. साथ ही, यह दुनिया में उसके दुश्मनों के लिए एक साफ चेतावनी भी है.

 

 

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