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दरभंगा : बिहार में ‘दैनिक जागरण’ की रजत जयंती पर केएस कॉलेज में ‘भाषण प्रतियोगिता’ आयोजित

पर्यावरण संरक्षण सहित सभी अच्छी बातों को सिर्फ पुस्तकों एवं उपदेशों तक ही सीमित न रखें, बल्कि अपने जीवन में उतारें- प्रधानाचार्य

हरे वृक्ष धरती का श्रृंगार एवं हमारा जीवनरक्षक तथा स्वच्छ एवं संतुलित पर्यावरण मानव जीवन का मूल आधार- डॉ. चौरसिया

भाषण प्रतियोगिता में कुमारी मुस्कान- प्रथम, जनार्दन कुमार- द्वितीय तथा अभिषेक पंजियार ने लाया तृतीय स्थान

सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण-पत्र तथा सफल तीन प्रतिभागियों को रैंक-पत्र तथा मेडल से किया गया सम्मानित

दरभंगा : जागरण के प्रसारण के बिहार में 25 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में पूरे बिहार के शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न विषयों पर चल रहे भाषण प्रतियोगिता के क्रम में आज के एस कॉलेज, दरभंगा की एनएसएस इकाई के सहयोग से प्रधानाचार्य डॉ शंभू कुमार यादव की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में एनएसएस के विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया, गणित के विभागाध्यक्ष डॉ रामावतार प्रसाद- विशिष्ट अतिथि, निर्णायक मंडल के सदस्य डॉ अभय कुमार, कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक डॉ अमित कुमार सिन्हा, धन्यवाद कर्ता डॉ गुंजन कुमारी सहित डॉ जयकुमार झा, डॉ अभिनव श्रीवास्तव, डॉ विनय कुमार साह, डॉ मनोज कुमार कुंमर, डॉ शंभू कान्त झा, डॉ सुबोध कुमार सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। भाषण प्रतियोगिता में 60 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, जिन्हें दैनिक जागरण की ओर से सहभागिता प्रमाण पत्र दिया गया। वहीं कुमारी मुस्कान- प्रथम, जनार्दन कुमार- द्वितीय तथा अभिषेक पंजियार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, जिन्हें रैंक प्रमाण पत्र तथा मेडल से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से, जबकि समापन राष्ट्रगान से हुआ।

 

अध्यक्षीय संबोधन में डॉ शंभू कुमार यादव ने कहा कि बिहार के युवा कर्मठ एवं क्षमतावान हैं जो अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अधिक से अधिक पेड़ लगाए तथा पर्यावरण को सुरक्षित बनाएं। समाज के सभी व्यक्ति अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक एवं कर्तव्यनिष्ठ बने, विशेष कर छात्र एवं युवा शपथ ले कि वे न तो खुद प्रदूषण फैलाएंगे न ही दूसरों को ऐसा करने देंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण सहित सभी अच्छी बातों को युवा सिर्फ पुस्तकों एवं उपदेशों तक ही सीमित न रखें, बल्कि अपने जीवन में उतरे और दूसरों के लिए उदाहरण बनें। यूएनओ के अनुसार यदि हम अभी भी नहीं चेते तो 2050 तक पर्यावरण का तापमान 2 डिग्री तक बढ़ जाएगा, जिससे अनेक समस्याएं उत्पन्न हो जाएगी। प्रधानाचार्य ने आह्वान किया कि छात्र- युवा एवं शिक्षक- अभिभावक बिहार में ऐसा वातावरण बनाएं कि 2050 तक बिहार पर्यावरण की दृष्टि से बेहतरीन प्रदेश बन सके, जहां बाहर के भी छात्र पढ़ने एवं देशाटन के लिए आ सकें।

एनएसएस समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि एक ओर हरे वृक्ष धरती की श्रृंगार एवं हमारे जीवन रक्षक हैं, वहीं दूसरी ओर स्वच्छ एवं संतुलित पर्यावरण मानव जीवन का मूल आधार है। हमें ‘पर्यावरण बचाओ, भविष्य बनाओ’ नारा को साकार करना होगा, तभी पेड़- पौधों की हरियालियों में छिपी हमारी वास्तविक खुशियां नजर आएंगे। प्राचीन कालीन हमारे पूर्वज दूरदर्शी एवं पर्यावरण के प्रति संवेदनशील थे, जिन्होंने पर्यावरण के सभी अवयवों में देवत्व का आधान कर उनके संवर्धन एवं संरक्षण हेतु पूजन का विधान किया है। उन्होंने कहा कि बढ़ती भौतिकतावाद, औद्योगिकरण एवं आधुनिक जीवन शैली के कारण पर्यावरण को सर्वाधिक नुकसान हो रहा है। यदि आज हम पर्यावरण संरक्षण के उपाय करते हैं तो 2050 तक बिहार एक समृद्ध, स्वच्छ एवं सतत विकसित राज्य अवश्य ही बन सकता है। डॉ चौरसिया ने आह्वान किया कि हमें सब अपने-अपने जन्मदिन, शादी दिवस, पर्व- त्योहारों एवं उत्सवों के अवसर पर अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए तथा सौर ऊर्जा, बायोगैस, पवन ऊर्जा आदि को बढ़ावा देकर सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए। हमें पर्यावरण संरक्षण को शिक्षा का अनिवार्य अंग बनाना होगा।

विशिष्ट अतिथि एवं गणित विभागाध्यक्ष डॉ रामावतार प्रसाद ने कहा कि 2050 के बिहार की बेहतरीन के लिए आज से ही सार्थक प्रयास करना होगा। शहरीकरण के कारण जल संकट सहित कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने आह्वान किया कि छात्र शिक्षकों से सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान ही प्राप्त नहीं करें, बल्कि व्यावहारिक, नैतिक एवं पर्यावरणीय ज्ञान भी प्राप्त कर जीवन में अपनाए। निर्णायक मंडल के सदस्य डॉ अभय कुमार ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण एक वृहद एवं संवेदनशील वैश्विक मुद्दा है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बिहार सरकार की ”जल, जीवन और हरियाली” तथा केन्द्र सरकार की “एक पेड़ मां के नाम योजना” काफी सफल हो रही है।

कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथि स्वागत करते हुए एनएसएस पदाधिकारी डॉ अमित कुमार सिन्हा ने बताया कि अभी बिहार में मात्र 15% हरित आवरण है, जिसे बिहार सरकार 2028 तक 17% करने का लक्ष्य निर्धारित की है। राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार धरती पर कम से कम 33% वन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण सिर्फ सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सबका महत्वपूर्ण कर्तव्य भी है। यदि बिहार के सभी निवासी आज संकल्प लें तो 2050 का हमारा बिहार न केवल विकसित, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी आदर्श राज्य के रूप में उभर सकता है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए समाजशास्त्र- प्राध्यापिका डॉ गुंजन कुमारी ने कहा कि एक ओर अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि के कारण पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी और वर्तमान युद्ध कालीन स्थिति के कारण पर्यावरण दूषित हो रहा है। पर्यावरण की दृष्टि से बिहार को बेहतर राज्य बनाने के लिए सुंदर लाल बहुगुणा द्वारा चलाए गए “चिपको आंदोलन” को बिहार में पूर्णतः सफल करना होगा।

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