दरभंगा। संस्कृत के छात्रों के लिए एक बहुत बड़ी राहत की खबर है। अब प्रमाणपत्र में आयी त्रुटियों के संशोधन में उसे 1500 के बजाय महज 500 रुपये ही शुल्क देना होगा। यानी संशोधन शुल्क में तीन गुना की ऐतिहासिक कटौती कर दी गयी है। इसके पूर्व अमूमन सभी तरह के शुल्कों में बढ़ोतरी ही की जाती रही है। ऐसा पहला मौका है जब छात्र हित मे संस्कृत विश्वविद्यालय ने इस तरह का निर्णायक फैसला लिया है। इससे सम्बंधित अधिसूचना भी मंगलवार को जारी कर दी गयी है। यहां उल्लेख कर देना जरूरी है कि परीक्षावेदन शुल्क से भी संशोधन शुल्क की राशि अधिक रहने को लेकर अकसर प्रधानाचार्यों व विभागाध्यक्षों समेत कतिपय छात्रों द्वारा ऐतराज जताते हुए इसमें संशोधन की मांग उठती रहती थी। अब हालिया अधिसूचना से सभी पक्षों ने राहत की सांस ली है।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि परीक्षा नियंत्रक डॉ मुकेश कुमार झा ने
कुलपति प्रो0 लक्ष्मीनिवास पांडेय के संज्ञान में देते हुए छात्र हित मे शुल्क कटौती का अनुरोध किया था। वहीं, व्यवहारिक पक्षों को देखते हुए कुलपति प्रो0 पांडेय ने सम्यक विचार के बाद संशोधन शुल्क में तीन गुना कमी कर दी। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि छात्रों की समस्याओं का हल करना विश्वविद्यालय की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
शुल्क कटौती की अधिसूचना की मुख्य बातें
मंगलवार को कुलपति के आदेश पर अधिसूचना जारी करते हुए परीक्षा नियंत्रक ने कहा है कि विश्वविद्यालय स्तर से निर्गत प्रमाण पत्रादि में त्रुटि होने पर निःशुल्क संशोधन किया जायेगा। जबकि छात्र-छात्राओं द्वारा परीक्षावेदनादि प्रपूरित करने में त्रुटि पायी जाती है तो ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में निर्धारित संशोधनादि शुल्क पंद्रह सौ रूपया के स्थान पर पाँच सौ रूपया शुल्क चलान के माध्यम से विश्वविद्यालय चालू खाता में जमा करना होगा। इसके बाद ही संशोधनादि कार्य नियमानुसार किया जायेगा। वहीं अधिसूचना में आगाह किया गया है कि प्रमाण पत्रादि प्राप्त होने के तीन माह के अन्दर संशोधनादि करा लेना होगा। अन्यथा की स्थिति में संशोधनादि कार्य नहीं किया जायेगा। साथ ही , सभी विभागाध्यक्षो एवं महाविद्यालयों से अनुरोध किया गया है कि अंक पत्रादि छात्रों को निर्गत करने से पूर्व अपने अभिलेखों से मिलान कर ही हस्तगत कराना चाहेंगे। अन्यथा की स्थिति में इसकी सारी जवाबदेही संस्था के प्रधान की होगी।