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दरभंगा : दिल्ली में संस्कृत विवि को करीब से जानेंगे लोग, IIC की टीम ने किया दौरा

अक्टूबर में सप्ताहभर चलने वाले महोत्सव का मुख्य फोकस रहेगा यहां का पुस्तकालय 

दरभंगा। आगामी अक्टूबर माह संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए बहुत ही खास रहने वाला है। इंडियन इंटरनेशनल सेंटर यानी आईआईसी करीब सप्ताह भर दिल्ली में आयोजित अपने वार्षिक महोत्सव, 2025 के दौरान संस्कृत विश्वविद्यालय के पुस्तकालय की पुस्तकों एवं पांडुलिपियों के साथ साथ संग्रहालय में पड़ी ऐतिहासिक वस्तुओं की प्रदर्शनी पर मुख्य फोकस देने जा रहा है। महोत्सव दिल्ली के लोदी रोड में 10 से 16 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान दुनिया संस्कृत विश्वविद्यालय की गतिविधियों को बहुत ही करीब से निहारेगी। महोत्सव में अपनी दमदार उपस्थिति के लिए बजाप्ता तैयारी शुरू कर दी गयी है।

वहीं, आज बुधवार को सेंटर के पदाधिकारियों ने कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय से औपचारिक भेंट कर महोत्सव के मुख्य विषय वस्तु पर चर्चा की। कुलपति प्रो0 पांडेय ने भी इसे गौरव की बात बताते हुए हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया। कुलसचिव प्रो0 ब्रजेशपति त्रिपाठी ने भी कहा कि दिल्ली में आयोजित वार्षिक महोत्सव के जरिये विद्वतजन संस्कृत विश्वविद्यालय के बारे में गहनता से जानेंगे। साथ ही यहां की धरोहरों से भी सभी रूबरू होंगे।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि आईआईसी से जुड़े पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय व दरबार हॉल का अवलोकन किया तथा कुछ पुस्तकें भी खरीदी। कुलपति को भी सेंटर से सम्बंधित पुस्तक भेंट की गई। सेंटर से जुड़े पदाधिकारियों डॉ उषा मोक्षी, शुभ्रा टण्डन एवं राजीव ने पुस्तको की सूची प्राप्त की एवं महत्वपूर्ण फोटोग्राफी भी की। मौके पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, पटना के उपाधीक्षक सुजीत नयन भी उपस्थित थे। बता दें कि केन्द्रीय पुस्तकालय प्रभारी प्रो.दिलीप कुमार झा के नेतृत्व में केंद्रीय टीम को संग्रहालय, म्युजिम,प्रकाशन एवं दरबार हॉल की कलाकृतियों को दिखलाया गया। मौके पर कुलानुशासक डॉ.पुरेंद्र वारिक, सूचना वैज्ञानिक डॉ.नरोत्तम मिश्र, नोडल पदाधिकारी डॉ.रामसेवक झा, डॉ.विभव कुमार झा, अभिमन्यु कुमार सिंह, लक्ष्मी आदि मौजूद थे।

इस गतिविधियों के लिए चर्चित है सेंटर

इंडियन इंटरनेशनल सेंटर यानी आईआईसी मुख्यतः कला कौशल व सांस्कृतिक विरासत को उचित प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराकर उसे दुनिया के सामने लाने का कार्य करता है। भारतीय गीत संगीत, पश्चिमी शास्त्रीय संगीत, रंगमंच, लोक कला, चित्रकारी, फोटोग्राफी ,प्रदर्शनी समेत अन्य गतिविधियों को भी बढ़ावा देने में जुटा रहता है। आईआईसी अनुभव के महत्व, दृश्य और प्रदर्शन कला के क्षेत्र में प्रमुख प्रतिभाओं को एक साथ लाने और एक समृद्ध व विविध अनुभव प्रस्तुत करने के लिए शक्तिशाली तरीके से कार्यक्रमों का आयोजन करता है। विविधता के साथ स्वतंत्रता, नवाचार, रचनात्मकता, शिक्षा और मनोरंजन पर भी इसका मुख्य फोकस रहता है।

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