अंतरराष्ट्रीय

पहलगाम हमला : भारत ने TRF के खिलाफ UN को दिए साक्ष्य, आतंकी संगठन घोषित करने की मांग

डेस्क : भारत की एक टीम संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में पहुंची है ताकि ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) नाम के संगठन को आतंकवादी संगठन की सूची में शामिल कराया जा सके. TRF पर हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का शक है.

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय तकनीकी टीम न्यूयॉर्क में है और वे यूएन की 1267 प्रतिबंध समिति के मॉनिटरिंग टीम और अन्य देशों के अधिकारियों से बातचीत कर रही है. इसके अलावा, वे यूएन के आतंकवाद विरोधी कार्यालय (UNOCT) और आतंकवाद विरोधी समिति के अधिकारियों से भी मिलेंगे.

विदेश सचिव विक्रम मिसरी समेत भारतीय अधिकारियों का कहना है कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के पीछे TRF का हाथ है. वे इसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक सामने वाला संगठन मानते हैं.

यह पहली बार है जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने TRF को यूएन और उसके आतंकवाद विरोधी निकायों के सामने रखा है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पाकिस्तान ने अप्रैल 25 की सुरक्षा परिषद की उस बयान से TRF का नाम हटवा लिया था, जिसमें इस हमले की बात की गई थी.

TRF ने दो बार इस हमले की जिम्मेदारी ली थी — एक बार हमले के तुरंत बाद और फिर अगले दिन सुबह. लेकिन बाद में TRF ने इस दावे से पीछे हटने की कोशिश की, शायद उनके नेता और पाकिस्तान में बैठे संचालक समझ गए कि इस हमले की गंभीरता क्या है. विदेश सचिव मिसरी का कहना है कि इस पीछे हटने से कोई भी प्रभावित नहीं हुआ.

भारत ने मई और नवंबर 2024 में यूएन की 1267 प्रतिबंध समिति को आधा सालाना रिपोर्ट में TRF के बारे में जानकारी दी है कि यह समूह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का मुखौटा है. दिसंबर 2023 में भी भारत ने बताया था कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे बड़े आतंकी संगठन छोटे-छोटे संगठनों जैसे TRF के जरिए काम करते हैं.

पाकिस्तान का दबाव कि सुरक्षा परिषद के बयान से TRF का नाम हट जाए, ये बताता है कि इस हमले के पीछे वहां की सरकार या सेना का हाथ हो सकता है.

भारत के जांच अधिकारियों ने बताया है कि पहलगाम हमले में आतंकवादियों की पाकिस्तान से बातचीत के सबूत मिले हैं. साथ ही TRF द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने और सोशल मीडिया पर लश्कर के समर्थकों द्वारा इसका प्रचार भी इस बात का सबूत है.

भारतीय अधिकारी बार-बार सुरक्षा परिषद के 25 अप्रैल के बयान का हवाला देते हैं, जिसमें कहा गया है कि हमले के दोषियों, आयोजकों, पैसों देने वालों और समर्थकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. भारत की कार्रवाई इसी संदर्भ में देखनी चाहिए.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *