साहित्य

कविता : इंतजार तुम्हारा (अंजुम शर्मा)

जैसे नदी करती है इंतज़ार समुद्र का

खो जाने के लिए

जैसे पहाड़ करते हैं इंतज़ार बर्फ़ का

सो जाने के लिए

जैसे बादल करते हैं इंतज़ार नमी का

बरस जाने के लिए

जैसे रंग करते हैं इंतज़ार कूची का

बिखर जाने के लिए

जैसे फूल करते हैं इंतज़ार वसंत का

जी उठने के लिए

ऐसे ही मैं करता हूँ इंतज़ार तुम्हारा

खो जाने

सो जाने

बरस जाने

बिखर जाने

जी उठने के लिए।

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