बोले- छात्रों का हित सर्वोपरि
सीनेट की 48वीं बैठक के अध्यक्षीय अभिभाषण में गिनाईं उपलब्धियां
समस्याओं के निदान के लिए सदस्यों से
मांगा सहयोग
दरभंगा। हमारे लिए छात्रहित सर्वोपरि है और हम छात्रों को अधिकाधिक सुविधा प्रदान करने के लिए हमेशा सचेष्ट हैं। सुलभ छात्रवृत्ति एवं विश्वविद्यालय छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ छात्रों को दिया जा रहा है ताकि अधिकाधिक छात्र सहयोग राशि प्राप्त कर अपना अध्ययन कार्य सुगमता से सम्पादित कर सकें। इतना ही नहीं, संस्कृत सम्भाषण शिविर के माध्यम से तथा विविध प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रशिक्षण आदि के द्वारा हम छात्रों के विकास के लिए सदैव तत्पर हैं। बुधवार को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में आयोजित सीनेट की 48वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने उक्त बातें अपने अभिभाषण के दौरान कही।
कुलपति ने परमदानवीर व संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्थापक महाराजाधिराज सर डॉ कामेश्वर सिंह के प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि समाज एवं राष्ट्र के विकास में छात्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । इसके लिए आवश्यक है कि उनमें नेतृत्व गुण का विकास करना। हमारे विद्वान् और कर्तव्यनिष्ठ शिक्षको के नेतृत्व में समय-समय पर सेमिनार, कार्यशाला, संगोष्ठी, वेबिनार आयोजित कर छात्रों का सर्वांगीण विकास किया जा रहा है। हमें खुशी है कि इस विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त छात्र राज्य तथा राज्य के बाहर के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विद्यालयों में संस्कृत शिक्षा के प्रतिष्ठित पदों पर नियुक्त होकर अपने साथ-साथ इस विश्वविद्यालय का भी गौरव बढ़ा रहे हैं। हमारे कतिपय छात्रों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा तथा सेना के विभिन्न पदों पर भी नियुक्त होकर राष्ट्र की सेवा करते हुए इस विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया है। साथ ही, कुलपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दिनानुदिन विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या कम हो रही है। इसे दृष्टिपथ पर रखते हुए समाज में जागरूकता तथा संस्कृत के प्रति अभिरुचि जगाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का संचालन विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि पर्यावरण मञ्च, शास्त्र समवर्धनि परिषद्, युवा चेतना मञ्च, महिला मञ्च, संस्कृत प्रचार मञ्च, क्रीड़ा मञ्च, कलारञ्जनी मञ्च के जरिये संस्कृत भाषा तथा संस्कृत साहित्य के वेद, व्याकरण, ज्यौतिष, धर्मशास्त्र, दर्शन, साहित्य, आयुर्वेद, कर्मकाण्ड, पुराण आदि विषयों की व्यापकता बढ़ाने का कुलपति ने भरोसा दिलाया। इसके अलावा कुलपति ने अवगत कराया कि अनेकानेक कार्यक्रम आयोजित कर समाज को एकत्रित करते हुए अभिभावकों से अपने बच्चों को संस्कृत पढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है जिसका परिणाम है कि सुदूर देहात से भी महाविद्यालय एवं विभाग में छात्र नामांकन करा कर अध्ययन करने आ रहे हैं।
इसी क्रम में कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि प्रायः विश्वविद्यालय की सभी मुख्य परीक्षाएँ समय पर आयोजित हो रही हैं तथा जो अवशिष्ट हैं उसे भी नियमित कर ली जाएगी। विभागों द्वारा हम समय पर नामांकन, शिक्षण, परीक्षा एवं परीक्षाफल प्रकाशन के लिए कृतसंकल्पित हैं। हमारा सदैव प्रयास होता है कि विश्वविद्यालय के छात्रों एवं स्नातकों को अपना पठन-पाठन कार्य छोड़कर अनावश्यक विश्वविद्यालय का चक्कर न लगाना पड़े।
वर्ष 2024 में विश्वविद्यालयीय पंचांग के अतिरिक्त वर्षकृत्यम् (उत्तरखण्ड) का प्रकाशन किया गया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न पाण्डुलिपियों का व्यवस्थितीकरण का कार्य निरन्तर चल रहा है। स्नातकोत्तर विभाग से डिप्लोमा कोर्स हेतु पाठ्यक्रम का निर्माण कर राजभवन से अनुमति हेतु प्रेषित किया गया है। उन्होंने भरोसा दिया कि विश्वविद्यालय इस ओर पूर्ण तत्पर है कि सभी सेवानिवृत्त कर्मियों को यथाशीघ्र पेंशन एवं सेवान्तलाभ ससमय प्राप्त हो सके ।
कुलपति ने मान्य सदस्यों को बताया कि प्रशासनिक एवं शैक्षणिक गतिविधियों को सुचारुतया आगे बढ़ाने में विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों को कुछ कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं में पूर्व से कार्यरत शिक्षकेतर कर्मियों में से अधिक कर्मियों की सेवा निवृत्ति हो जाने के फलस्वरूप शिक्षकेतर कर्मियों की अत्यन्त कमी प्रमुख है। इसके अतिरिक्त बिहार लोक सेवा आयोग की अनुशंसा पर शिक्षकों की नियुक्ति होने के बाद भी अंगीभूत महाविद्यालयों में स्थायी शिक्षकों की कमी के कारण भी कई विषयों का अध्ययन-अध्यापन प्रभावित हो रहा है। सम्बद्ध महाविद्यालयों में तो शिक्षकों एवं कर्मचारियों की संख्या इतनी घटती जा रही है कि कुछ महाविद्यालय ऐसे हो गये हैं कि जहाँ एक भी न तो नियमित शिक्षक रह गये हैं और न ही एक नियमित कर्मचारी ही । विश्वविद्यालय के समक्ष और भी एक विकट समस्या है, इसकी अपनी आर्थिक विपन्नता। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा वेतन, पेंशन के लिए ही विश्वविद्यालय को राशि उपलब्ध होती है। हमारे आय-व्ययक में अन्य दैनन्दिन कार्यों में सम्भावित व्यय की राशि का प्रावधान किये जाने के बाद भी इन मदों में राज्य सरकार से कोई भी राशि प्राप्त नहीं होती है। इस सदन के मान्य सदस्यों को ये ज्ञात है कि विश्वविद्यालय के आरम्भ काल से ही निःशुल्क शिक्षा होने के कारण छात्रों से परीक्षा मद को छोड़कर अन्य शुल्क नहीं लिये जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में विश्वविद्यालय अपने दैनन्दिन कार्यों के निष्पादन में भी अनेक कठिनाइयों का अनुभव करता रहता है, क्योंकि जेनरेटर सेवा, दूरभाष सेवा, बिजली, नगर-निगम टैक्स तथा प्राधिकारों की बैठकों के आयोजन में विश्वविद्यालय के सामने आने वाली आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है। इसलिए आप सभी का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने का हमारा उद्देश्य यह है कि हमारी आर्थिक कमी को आप सबके माध्यम से सरकार के सम्मुख प्रस्तुत किया जा सके। ऐसी विकट समस्याओं के समाधान हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन तो अपने स्तर से तत्पर है ही। साथ ही आप सभी सदस्यों से भी हम सहयोग की अपेक्षा करते हैं।
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की सर्वतोमुखी विकासात्मक प्रगति के लिये हम परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए संस्कृतानुरागी आप माननीय सदस्यों से अनुरोध करते हैं कि भारतीय संस्कृति तथा इसके प्राणभूत संस्कृत के परिपोषक इस विश्वविद्यालय के सम्पूर्ण क्रिया-कलापों में आपका सहयोग एवं मार्गदर्शन हमारे लिए सञ्जीवनी का काम करेगा।
उल्लेखनीय है कि बैठक शुरू होने से पूर्व मुख्यालय स्थित महाराजाधिराज सर डॉ. कामेश्वर सिंह की प्रतिमा पर कुलपति प्रो. पांडेय, एफए इंद्र कुमार एवं कुलसचिव प्रो. ब्रजेशपति त्रिपाठी ने पुष्पमाला अर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की एवं विश्वविद्यालय के विकास का आशीर्वाद मांगा।