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दरभंगा : रविदास जयंती पर मिथिला विवि स्नातकोत्तर हिंदी विभाग ने आयोजित की विचार गोष्ठी

दो दर्जन से अधिक छात्र-छात्राओं को प्रदान किए गए सहभागिता प्रमाण-पत्र

दरभंगा (नासिर हुसैन)। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, कामेश्वरनगर के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग द्वारा भक्तिकालीन निर्गुण-धारा के प्रमुख संत व समाज सुधारक रविदास की जयंती के अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। ‘रविदास का व्यक्तित्व व कृतित्व’ विषय पर आयोजित इस गोष्ठी का शुभारंभ संत रविदास की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।

अपने अध्ययक्षीय उद्बोधन में प्रो. कुमार ने कहा कि संत रविदास सामाजिक समन्वयवादी भक्त कवि थे। उन्होंने तत्कालीन विषम परिस्थितियों में भक्ति को नवीन रूप प्रदान किया, जिसमें समतावादी दृष्टिकोण को देखा जा सकता है। उनकी रचनाओं में ईश्वर के प्रति समर्पण भाव की छवि दृष्टिगोचर होती है। मौके पर उपस्थित अंग्रेज़ी विभाग की अध्यक्ष सह मानविकी संकायाध्यक्ष मंजू राय ने कहा कि रविदास के पद आज भी प्रासंगिक हैं। हमें उनके पदों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। वे सिर्फ एक कवि ही नहीं थे, बल्कि एक समाजसुधारक भी थे। उन्होंने सभी धर्मों से हटकर मानवतावादी धर्म की स्थापना की। उनके 40 पदों को गुरु ग्रन्थ साहिब में संकलित किया गया है।

विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद ‘सुमन’ ने कहा कि कबीर और रैदास ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने जातिविहीन और वर्गविहीन समाज की संकल्पना की। कबीर और रैदास जिस अमरपुरा और बेगमपुरा की बात करते हैं, आज के समय में वहीं लोकतंत्र और समतामूलक समाज है। शोधप्रज्ञ दुर्गानंद ठाकुर ने कहा कि रैदास ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए अपने-आप को कई पदों में चमार कहा- ‘ऐसी मेरी जाती विख्यात चमारा’। शोधप्रज्ञ रोहित कुमार पटेल ने कहा कि रैदास की भाषा और भक्ति दोनों ही सरल हैं जो समाज-सापेक्ष है। शोधप्रज्ञा कंचन रजक ने कहा कि उन्होंने अपनी रचना के माध्यम से समाज से अंधविश्वास को दूर करने का प्रयास किया।

इस अवसर पर स्वरचित काव्यपाठ और भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इसमें सदानंद कुमार, धीरज कुमार राजवीर पासवान, हरेकांत यादव, अनीष कुमार, दीपक कुमार मंडल, कुमारी संजना, सूर्यनारायण महतो आदि छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में दर्शन सुधाकर, विद्यासागर ठाकुर, अमरेंद्र कुमार और अन्य पूर्व छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। दो दर्जन से अधिक छात्र-छात्राओं को सहभागिता प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए गए। गोष्ठी में मंच संचालन का दायित्व सुभद्र कुमार ने निभाया, वहीं धन्यवाद ज्ञापन संध्या रॉय ने किया

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