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बच्चों में कैंसर के बढ़ रहे मामले पर WHO ने जताई चिंता, कैंसर के कुल 24 लाख मामलों में 56 हजार बच्चे पीड़ित -(रिसर्च, रिपोर्ट)

 डेस्क: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कैंसर आज एक गंभीर समस्या बन चुका है। साल 2020 में कैंसर की वजह से दुनिया भर में हुई छह में से एक मौत हुई थी। WHO ने चेतावनी दी है कि 2050 तक दक्षिण-पूर्व एशिया में कैंसर के नए मामलों और मौतों की संख्या में 85% तक बढ़ोतरी हो सकती है।

2022 में इस क्षेत्र में कैंसर के 24 लाख नए मामलों की पुष्टि हुई थी, जिसमें से 56,000 मामले बच्चों के थे। यह आंकड़ा बच्चों में कैंसर की बढ़ती समस्या को उजागर करता है। बच्चों में कैंसर के मुख्य प्रकार हर साल लगभग 4 लाख बच्चे और किशोर कैंसर का शिकार होते हैं, और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। बच्चों में होने वाले कैंसर के मुख्य प्रकारों में ल्यूकीमिया (रक्त कैंसर), ब्रेन ट्यूमर, लिम्फोमा (लसिका ग्रंथि का कैंसर), न्यूरोब्लास्टोमा और विल्म्स ट्यूमर शामिल हैं।

बच्चों में होने वाले कैंसर का समय पर पता लगाना और उसे रोकना बेहद मुश्किल है, क्योंकि इस तरह के कैंसर की पहचान आमतौर पर स्क्रीनिंग से नहीं की जा सकती। हालांकि, समय पर इलाज और उपचार के जरिए बच्चों का इलाज किया जा सकता है, जिनमें सर्जरी, रेडियोथेरेपी और दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। उच्च आय वाले देशों में बेहतर इलाज की स्थिति उच्च आय वाले देशों में कैंसर से प्रभावित बच्चों का इलाज अधिकतर सफल रहता है। आंकड़ों के अनुसार, यहां 80% से ज्यादा बच्चों का इलाज संभव है और वे कैंसर से ठीक हो जाते हैं।

वहीं, निम्न और मध्य आय वाले देशों में यह आंकड़ा केवल 30% के आसपास है। इन देशों में बच्चों को इलाज की कमी, इलाज की गुणवत्ता में कमी और इलाज में देरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण कई बच्चे अपनी जान गंवा देते हैं। उच्च आय वाले देशों में जहां कैंसर की दवाइयां और उपचार उपलब्ध हैं, वहीं निम्न आय वाले देशों में यह 29% बच्चों के लिए भी उपलब्ध नहीं हो पाता है। मलेरिया भी बच्चों में कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता कैंसर की शुरुआत शरीर की कोशिकाओं में जेनेटिक बदलाव से होती है, जो बाद में ट्यूमर या गांठ का रूप ले सकती है।

यह किसी भी उम्र में हो सकता है और शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। बच्चों में कैंसर होने के मुख्य कारणों में जेनेटिक कारण प्रमुख होते हैं, और लगभग 10% बच्चों में कैंसर का खतरा जेनेटिक बदलावों के कारण होता है। इसके अलावा, कुछ पुराने संक्रमण जैसे एचआईवी, एपस्टीन-बार वायरस (EBV) और मलेरिया भी बच्चों में कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यह संक्रमण बच्चों के वयस्क होने पर कैंसर का कारण बन सकते हैं, इसलिए बच्चों को समय पर टीके लगवाना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि इन संक्रमणों से बचाव किया जा सके।

कैंसर की रोकथाम के लिए साक्षी आधारित रणनीतियों को लागू किया जा सकता कैंसर की रोकथाम के लिए कुछ उपायों को अपनाकर हम 30 से 50 प्रतिशत कैंसर मामलों को रोका जा सकता है। भारत में कैंसर के 40 प्रतिशत मामलों का कारण एक ही जोखिम कारक होता है, जिसे पहचानकर उसे रोका जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सलिला पुष्य श्रीवास्तव के अनुसार, कैंसर की रोकथाम के लिए साक्षी आधारित रणनीतियों को लागू किया जा सकता है। इसके अलावा, एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से भी कैंसर से बचाव संभव है।

इसमें ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार का सेवन महत्वपूर्ण है, और प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट और मीठे पदार्थों के सेवन को कम करना चाहिए। कैंसर के इलाज के लिए शोध और जागरूकता भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) कैंसर की रोकथाम, जागरूकता और उपचार के क्षेत्र में बड़े शोध पर काम कर रहे हैं। अगले तीन सालों में इन संस्थानों का फोकस कैंसर के कारकों की पहचान, जागरूकता अभियान और दवाओं की गुणवत्ता पर होगा। इसके साथ ही, क्लीनिकल परीक्षणों और इलाज की नीतियों पर भी शोध किया जाएगा, ताकि देश में कैंसर से होने वाली मौतों को कम किया जा सके। भारत में कैंसर की रोकथाम और उपचार भारत में कैंसर की रोकथाम और उपचार के लिए सरकारी स्तर पर कई योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिनके तहत लोगों को कैंसर से बचने के उपायों के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा, कैंसर के इलाज के लिए नई दवाओं और उपचार पद्धतियों पर काम किया जा रहा है।

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