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मोकामा फायरिंग केस : पूर्व विधायक अनंत सिंह की जमानत याचिका कोर्ट ने की खारिज

पटना। मोकामा शूटआउट केस में पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। अब अनंत सिंह के वकील ऊपरी अदालत में जमानत के लिए अपील करेंगे। 22 जनवरी को मोकामा के नौरंगा गांव में अनंत सिंह और उनके समर्थकों के बीच गैंगस्टर सोनू-मोनू गुट से जबरदस्त फायरिंग हुई थी। इस दौरान 100 राउंड फायरिंग की बात सामने आई थी। घटना का एक 53 सेकंड का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें करीब 20 राउंड फायरिंग की आवाजें सुनी जा सकती हैं। इस मामले में पुलिस ने अनंत सिंह के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया। उन पर आर्म्स एक्ट, हत्या के प्रयास, पुलिस से धक्का-मुक्की, गाली-गलौज और सरकारी काम में बाधा डालने जैसे आरोप लगाए गए। बुधवार को पटना सिविल कोर्ट में अनंत सिंह की जमानत पर सुनवाई हुई थी। उनके वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि अनंत सिंह ने गोली नहीं चलाई और न ही किसी ने उन्हें गोली चलाते हुए देखा। वे सिर्फ गांव में पंचायत करने गए थे और उन्होंने अपने समर्थकों को बुलाया था। फायरिंग मोनू नाम के व्यक्ति ने की, जिससे अनंत सिंह के ही समर्थक उदय यादव घायल हो गए। उन पर 307 (हत्या का प्रयास) और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज करना गलत है, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए। पुलिस ने कोर्ट में फायरिंग के वीडियो और अन्य साक्ष्य पेश किए। पुलिस का कहना था कि अनंत सिंह के नेतृत्व में फायरिंग हुई और यह सुनियोजित हिंसा थी। 100 राउंड फायरिंग से गांव में दहशत का माहौल बन गया था। पुलिस को सबूतों के साथ कार्यवाही करने से रोका गया, सरकारी काम में बाधा पहुंचाई गई और पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की भी हुई। इन दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी। अब अनंत सिंह के वकील ऊपरी अदालत में जमानत की अपील करेंगे। अगर वहां भी राहत नहीं मिलती, तो उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है। अनंत सिंह का नाम बिहार के बाहुबली नेताओं में शुमार है। उन पर हत्या, अपहरण, रंगदारी, अवैध हथियार रखने जैसे कई गंभीर मामले दर्ज हैं। इससे पहले भी वे गैंगस्टर एक्ट और आर्म्स एक्ट के मामलों में जेल जा चुके हैं। कोर्ट के इस फैसले से अनंत सिंह और उनके समर्थकों को बड़ा झटका लगा है। अब देखना होगा कि ऊपरी अदालत में उन्हें जमानत मिलती है या नहीं। फिलहाल, इस फैसले से बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।

 

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