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भारत सरकार ने कर्मचारियों को ChatGPT या DeepSeek का उपयोग नहीं करने का दिया निर्देश

डेस्क : भारत सरकार ने अपने कर्मचारियों को ChatGPT, DeepSeek और इसी तरह के अन्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित टूल्स का उपयोग नहीं करने का सख्त निर्देश जारी किया है. सरकार का मानना है कि इन टूल्स के जरिए संवेदनशील डेटा लीक होने का खतरा बढ़ सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और गोपनीयता को नुकसान पहुंच सकता है.

सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि ChatGPT और DeepSeek जैसे AI प्लेटफॉर्म्स यूजर्स के डेटा को स्टोर कर सकते हैं और इसे तीसरे पक्ष के साथ साझा कर सकते हैं. यह डेटा सरकारी कामकाज से जुड़ा संवेदनशील जानकारी हो सकता है, जिसके लीक होने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इसके अलावा, इन टूल्स के जरिए जेनरेट की गई जानकारी की सटीकता और विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए गए हैं.

सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिया है कि वे अपने कर्मचारियों को इन AI टूल्स का उपयोग करने से रोकें. इसके साथ ही, सरकारी कामकाज में AI टेक्नोलॉजी के उपयोग को लेकर एक व्यापक नीति तैयार करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है. सरकार का मानना है कि AI टूल्स का उपयोग करने से पहले उनकी सुरक्षा और गोपनीयता से जुड़े मानकों को स्पष्ट करना जरूरी है.

टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार का यह कदम सही दिशा में उठाया गया है. उनका मानना है कि AI टूल्स के बढ़ते उपयोग के साथ ही डेटा प्राइवेसी और साइबर सुरक्षा से जुड़े खतरे भी बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सरकार को AI टूल्स के लिए एक सुरक्षित और स्वदेशी विकल्प विकसित करने पर भी ध्यान देना चाहिए.

पिछले कुछ महीनों में ChatGPT और DeepSeek जैसे AI टूल्स ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है. इन टूल्स का उपयोग कंटेंट जनरेशन, डेटा एनालिसिस, कोडिंग और अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा है. हालांकि, इनकी सुरक्षा और गोपनीयता से जुड़े सवालों ने कई देशों और संगठनों को चिंता में डाल दिया है.

भारत सरकार का यह निर्णय डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर उसकी गंभीरता को दर्शाता है. AI टूल्स के बढ़ते उपयोग के साथ ही इनसे जुड़े जोखिमों को समझना और उन्हें नियंत्रित करना जरूरी है. सरकार का यह कदम भविष्य में AI टेक्नोलॉजी के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.

 

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