अजब-गजब

असम की अदालत ने कायम की मिसाल, एक भी मामला लंबित नहीं

डेस्क : भारत में निचली से लेकर सर्वोच्च अदालत तक में लोगों को न्याय पाने के लिए बरसों इंतजार करना पड़ता है. लेकिन असम की एक अदालत ने बीते साल 31 दिसंबर तक तमाम लंबित मामलों को निपटा कर एक मिसाल कायम की है.भारत की विभिन्न अदालतों में फिलहाल पांच करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं. असम की ये मिसाल साफ दिखाती है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के सहयोग से तमाम अदालतों में लंबित मामलों को समय पर निपटाना असंभव नहीं है. अगर देश की बाकी अदालतों ने भी इस दिशा में पहल की तो ‘जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड’ वाली कहावत भी अतीत बन जाएगी. लेकिन सवाल है कि क्या ऐसा संभव है?

असम के चिरांग जिले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में 31 दिसंबर, 2024 को एक भी मामला लंबित नहीं था. यानी अदालत ने अपने समक्ष आने वाले तमाम मामलों को निपटा दिया था. वह ऐसा करने वाली देश की संभवतः पहली अदालत है.

चिरांग जिला अदालत में सरकारी वकील नंदिता बसुमतारी डीडब्ल्यू से कहती हैं, “बीते साल की शुरुआत में सीजेएम अदालत में 143 मामले थे. पूरे साल के दौरान 687 नए मामले भी आए. लेकिन साल के आखिर तक इन तमाम 830 मामलों पर फैसला हो गया था. इस मामले में अदालत का रिकॉर्ड सौ फीसदी है. यही नहीं चिरांग जिले की अदालतों में कन्विक्शन रेट यानी अभियुक्त को दोषी साबित करने की दर भी राज्य के औसत से ज्यादा रही.”

बसुमतारी के मुताबिक, असम में वर्ष 2024 के नवंबर तक कनविक्शन रेट यानी दोषी साबित करने की दर 22.68 फीसदी रही, जबकि चिरांग में यह 23.29 फीसदी थी. दिसंबर में तो चिरांग में यह दर 26.89 फीसदी के सर्वोच्च स्तर तक पहुंच गई.

चिरांग जिला निचले असम में बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट (बीएटीडी) में शामिल चार जिलों में से एक है. इसकी स्थापना चार जून, 2004 को कोकराझार, बोंगाईगांव और बरपेटा जिलों के कुछ हिस्सों को लेकर हुई थी. इसका जिला मुख्यालय काजलगांव है, जो भूटान की सीमा से सटा है. ‘चिरांग’ गारो शब्द है जो ‘चि’ और ‘रांग’ से मिल कर बना है. गारो भाषा में ‘चि’ का मतलब पानी है और ‘रांग’ का मतलब धन. एक सींग वाले गैंडों के लिए मशहूर मानस नेशनल पार्क इसी जिले में है.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बीते दिसंबर में कहा था कि असम में दोषी साबित करने की दर को बढ़ाकर 50 प्रतिशत से ज्यादा के राष्ट्रीय दर तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. पहले यह पांच प्रतिशत था, जो अब बढ़ कर 23 फीसदी तक पहुंच गया है. उनका कहना था कि जल्दी ही यह आंकड़ा 30 फीसदी तक पहुंच जाएगा.

 

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