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दरभंगा : ग्रामीणों को दिया गया मुर्गी एवं बकरी पालन का प्रशिक्षण

कम पूंजी, कम जगह, कम समय तथा कम मेंटेनेंस में भी मुर्गी एवं बकरी आदि पालन से ज्यादा रिटर्न कमाना संभव- डॉ. चौरसिया

ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान, दरभंगा द्वारा मुर्गी, बकरी पालन आदि का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रारंभ करें स्वरोजगार- ललित झा

दरभंगा : सदर प्रखंड के खुटवाड़ा पंचायत स्थित पुरा गांव के 20 से अधिक ग्रामीणों को मुर्गी एवं बकरी पालन आदि का प्रशिक्षण दिया गया। इसमें ललित कुमार, रंजीत कुमार, आस्थानन्द यादव, अमन कुमार, दुःखहरण यादव, ओम प्रकाश, गयानन्द यादव, रंजीत कुमार यादव, वासुदेव राम, दीपेश कुमार राम, सुनीता देवी, गीता देवी, रेणु कुमारी, चांदनी कुमारी, मनोज कुमार यादव, लक्ष्मी यादव, गुड़िया कुमारी, रामकृष्ण कुमार, प्रणव नारायण तथा रामचंद्र मुखिया आदि के नाम शामिल हैं।

प्रशिक्षण में मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृत प्राध्यापक सह सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. आरएन चौरसिया ने मुर्गी एवं बकरी पालन व्यवसाय की सफलता हेतु अनेक महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए बताया कि मुर्गी एवं बकरी पालन से कम पूंजी, कम जगह, कम समय तथा कम मेंटेनेंस में भी ज्यादा रिटर्न कमाना संभव है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त कर मुर्गा या बकरी आदि पालन करने से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसे कम पढ़े-लिखे कोई भी ग्रामीण पुरुष, महिलाएं एवं विशेष रूप से युवा आसानी से कर सकते हैं। फार्म हवादार एवं सुरक्षित हो, उसके पास पेड़- पौधे हों तथा आसपास पानी इकट्ठा न हो। सरकारें मुर्गी, बकरी आदि पालन में दिलचस्पी रखने वाले बेरोजगारों को लगातार प्रशिक्षण तथा ऋण आदि देकर प्रोत्साहित भी कर रही है। अधिक लाभ के लिए मुर्गियों एवं बकरियों की उचित देखभाल, संतुलित आहार, साफ एवं हवादार घर, अच्छी नस्ल तथा स्वच्छ जल की व्यवस्था आदि बहुत जरूरी है।

डॉ. चौरसिया ने बताया कि फसलों के विविधीकरण एवं मिश्रित खेती में मुर्गी या बकरी पालन व्यवसाय भी किसानों के लिए काफी लाभदायक सौदा है। आज बढ़ती जनसंख्या, खाने- पीने की आदतों में परिवर्तन, तेज शहरीकरण, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि तथा स्वास्थ्य जागरूकता आदि के कारण मुर्गी आदि उत्पादों की मांग में काफी वृद्धि हुई है। मुर्गी उत्पाद प्रोटीन का काफी सस्ता और अच्छा माध्यम है। देसी मुर्गी का अंडा उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत है। अंडे में भरपूर फैटी एसिड पाया जाता है जो हृदय के लिए बेहतर है। यह लिवर हेल्थ के लिए भी बहुत अच्छा माना जाता है।

मुख्य प्रशिक्षक के रूप में ललित कुमार झा ने कहा कि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान, दरभंगा द्वारा मुर्गी, बकरी पालन आदि का 10 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर लोग आसानी से स्वरोजगार प्रारंभ करें। विशेष रूप से 18 से 45 वर्ष के कोई भी गरीब महिला या युवा सरकार से ऋण लेकर भी अपना स्वरोजगार कर सकते हैं। नियमानुसार उन्हें काफी सब्सिडी भी दी जाती है। ललित झा ने कहा कि इस कार्य में वह भी पूरा सहयोग करेंगे। स्वरोजगार प्रारंभ करने तथा उसमें सफलता प्राप्त करने हेतु उन्होंने कई टिप्स की विस्तार से जानकारी देते हुए लोगों की हौसलाअफजाई भी की। वहीं, डॉ. अंजू कुमारी ने भी स्वरोजगार के महत्व एवं मुर्गी तथा बकरी पालन के तौर-तरीकों की विस्तार से जानकारी देते हुए नए व्यवसाय प्रारंभ करने की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर पुरा गांव में विगत 2017 से ही सफलतापूर्वक मुर्गी पालन कर रहे रंजीत कुमार ने बताया कि वह डेढ़ कट्ठा जमीन में लगभग 2000 मुर्गियों के चूजों से प्रतिवर्ष छह-सात राउंड मुर्गी पालन कर रहे हैं। चूजे 37 दिनों में 2 किलो से अधिक वजनी होकर बिक्री योग्य हो जाते हैं। इस व्यवसाय में उन्हें कभी घाटा नहीं हुआ है, बल्कि हर बार तीन लाख रुपए की दर से वार्षिक लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि मुर्गी पालन में लगभग 70% खर्च आहार व्यवस्था पर होता है। आगे वह मुर्गी पालन व्यवसाय को और बढ़ाना चाहते हैं। वहीं, मुर्गी एवं बकरी पालन व्यवसाय को प्रारंभ करने में तेजी से लगे ललित कुमार ने बताया कि वह सऊदी अरब, कतर, बहरीन, दुबई आदि देशों में काम कर हाल ही में घर लौट आए हैं और अब अपने गांव में ही मुर्गी एवं बकरी पालन व्यवसाय प्रारंभ करनेवाले हैं, क्योंकि वह मूलतः किसान हैं तथा मेहनती भी हैं। वह अभी चार- पांच गाएं भी पाल रहे हैं। प्रशिक्षण में शामिल लोगों का स्वागत एवं संचालन आयोजक आस्थानन्द यादव ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन ललित कुमार ने किया।

 

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