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अमेरिका के प्रतिबंधों का भारत-रूस तेल व्यापार पर क्या असर होगा?

अमेरिका के ताजा सैंक्शन से रूस भारत तेल व्यापार पर ब्रेक लगता हुआ नजर आ रहा है. इसका असर भारत की आम जनता पर भी देखने को मिल सकता है क्योंकि रूस से सस्‍ता तेल आना बंद हुआ तो घरेलू बाजार में भी तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं.रूस का एक बड़ा क्रूड ऑयल टैंकर फुरिया जो 7 लाख 30 हजार बैरल उरल्स क्रूड लेकर गुजरात के सिक्का पोर्ट आ रहा था, वो 28 अक्टूबर को बाल्टिक सागर में रुक गयाटैंकर ने डेनमार्क और जर्मनी के बीच फेहमार्न बेल्ट स्ट्रेट में पूरा यू टर्न लिया है. क्लपर और वोर्टेक्सा की ट्रैकिंग के मुताबिक जहाज अभी भी वहीं है. माल रोजनेफ्ट का है और टैंकर खुद EU और ब्रिटेन की ब्लैक लिस्ट में है. Kpler के आंकड़ों में भी बताया गया है कि रूस भारत तेल व्यापार प्रभावित हुआ है.

.भारत को रूस के तेल निर्यात में भारी गिरावट: ट्रंप सरकार ने 22 अक्टूबर को रोजनेफ्ट और लुकोइल पर सैंक्शन लगाया था. 21 नवंबर से पूरा लागू हो जाएगा. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने बताया है कि हम सारे अंतरराष्ट्रीय नियम मानेंगे. रिफाइनरी के बड़े अफसर ब्लूमबर्ग को बता चुके हैं कि रूसी तेल की आमदनी बहुत कम हो जाएगी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, Kpler के आंकड़ों की बात करें तो 27 अक्टूबर तक के हफ्ते में रूस से रोज सिर्फ 11.9 लाख बैरल आया जबकि दो हफ्ते पहले 19.5 लाख था. रोजनेफ्ट का हिस्सा 14.1 लाख से गिरकर 8.1 लाख पर आ गया. लुकोइल का पूरा 2.4 लाख गायब. अक्टूबर में कुल 16.2 लाख बैरल रोज आया जो सितंबर के 16.1 लाख से थोड़ा ज्यादा है. क्लपर के सुमित रितोलिया कहते हैं 21 नवंबर तक 16 से 18 लाख बैरल रोज रहेगा फिर दिसंबर जनवरी में 10 से 12 लाख तक गिरेगा. पूरा बंद नहीं होगा क्योंकि छोटे रूसी प्रोड्यूसर और बीच के व्यापारी नए जहाज नए बैंक से माल भेजेंगे.

पेट्रोल डीजल की कीमत पर असर :अभी रूस से भारत में 35 फीसदी तेल आता है. सैंक्शन सिर्फ रोजनेफ्ट और लुकोइल पर है जो आधे से ज्यादा रूसी तेल बनाते हैं. नयारा एनर्जी जो रोजनेफ्ट की पार्टनर है वो शायद थोड़ा तेल लेगी. बाकी रिफाइनरी सऊदी अरब नाइजीरिया ब्राजील अर्जेंटीना कोलंबिया गुयाना से माल बढ़ा रही हैं. अक्टूबर में अमेरिका से 5.68 लाख बैरल रोज आया जो 2022 के बाद सबसे ज्यादा है.इससे पेट्रोल डीजल की कीमत पर असर पड़ सकता है. सस्ता रूसी तेल कम आएगा तो 2 से 3 रुपए लीटर महंगा हो सकता है. इंडियन ऑयल ने 2026 की पहली तिमाही के लिए अमेरिका से 2.4 करोड़ बैरल का टेंडर निकाला है. ट्रंप का मकसद रूस की जेब ढीली करने के लिए तेल बिक्री रोकने पर ध्यान देना है. फिलहाल नवंबर में पुराने लोडिंग का माल आएगा. 1.74 मिलियन बैरल रोज अक्टूबर में लोड हुआ था. 25 से 30 दिन का सफर है. 21 नवंबर के बाद नया ऑर्डर कोई नहीं दे रहा. डेनमार्क पुराने जहाजों की जांच बढ़ा रहा है. फुरिया 23 साल पुराना है. शैडो फ्लीट के अनुसार, इसे मालिक सेशेल्स की विस्परिंग विलो कंपनी है. मैनेजर अजरबैजान की हार्बर हार्मनी और कोई जवाब नहीं दे रहा.

 

 

 

 

 

 

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