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आंध्र प्रदेश में मंदिर भगदड़: वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हादसे में 9 की मौत, भीड़ प्रबंधन में लापरवाही

डेस्क :आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले स्थित काशीबुग्गा गांव में बने श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में कार्तिक एकादशी के दर्शन के लिए श्रद्धालु उमड़े थे। यह मंदिर ओडिशा के 94 वर्षीय सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हरि मुकुंद पांडा द्वारा बनाया गया है और महज चार महीने पहले ही खोला गया था। बताया जाता है कि यह मंदिर तिरुमाला तिरुपति मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है और यहां हर शनिवार को औसतन 3,000 श्रद्धालु आते हैं।मौजूद जानकारी के अनुसार, इस बार कार्तिक एकादशी का पहला आयोजन होने के कारण लगभग 20,000 से ज्यादा लोग जुट गए थे। हालांकि, मंदिर प्रबंधन ने भीड़ के बारे में न तो प्रशासन को सूचित किया और न ही किसी प्रकार का सुरक्षा इंतज़ाम किया गया। एक ही गेट से प्रवेश और निकासी की व्यवस्था, संकरी सीढ़ियां और कमजोर रेलिंग के चलते हालात बदतर हो गए।

सुबह करीब 9 बजे के बाद अचानक भीड़ का दबाव बढ़ा और सीढ़ियों की रेलिंग टूटने से भगदड़ मच गई, जिससे आठ महिलाओं और एक 13 वर्षीय बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई। गौरतलब है कि 25 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है।

जिलाधिकारी के वी महेश्वर रेड्डी ने बताया कि ये रेलिंग पहले से ही कमजोर थी, और जैसे ही एक व्यक्ति के गिरने की वजह से संतुलन बिगड़ा, तुरंत अफरा-तफरी फैल गई। मौके पर मौजूद श्रद्धालु रमनम्मा ने बताया कि कुछ ही मिनटों में लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और चीख-पुकार मच गई।

उधर, मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अगर पहले से सूचना होती तो पुलिस बेहतर भीड़ प्रबंधन कर सकती थी। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

पुलिस के मुताबिक, मंदिर न तो राज्य के मंदिर एंडॉवमेंट विभाग में पंजीकृत है और न ही इसके पास बड़ी धार्मिक सभाओं की अनुमति थी। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 100 के तहत मामला दर्ज किया है और चार मंदिर कर्मचारियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिवारों को दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की सहायता देने की घोषणा की है।

बता दें कि यह इस वर्ष आंध्र प्रदेश में तीसरी बड़ी मंदिर दुर्घटना है। इससे पहले जनवरी में तिरुपति में छह लोगों की मौत और अप्रैल में विशाखापट्टनम के सिम्हाचलम मंदिर में दीवार गिरने से सात लोगों की जान चली गई थी। ऐसे में एक बार फिर धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

मंदिर के संस्थापक हरि मुकुंद पांडा ने इस हादसे को “ईश्वर की इच्छा” बताते हुए किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी से खुद को अलग कर लिया है। लेकिन स्थानीय लोग इसे लापरवाही का नतीजा मान रहे हैं और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। घायल श्रद्धालुओं का इलाज जारी है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

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