लालू परिवार में संजय यादव को लेकर विवाद, तेज प्रताप और रोहिणी आचार्य ने उठाए सवाल बिहार की राजनीति में अब लालू परिवार के अंदर विवाद भी सुर्खियों में आने लगे हैं। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के परिवार में तेज प्रताप यादव और उनकी बहन रोहिणी आचार्य ने पार्टी के राजनीतिक रणनीतिकार और सलाहकार संजय यादव को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।तेज प्रताप यादव लंबे समय से संजय यादव की भूमिका पर सवाल खड़े करते आए हैं। उनका मानना है कि संजय यादव पार्टी और परिवार के निर्णयों में अत्यधिक प्रभाव डाल रहे हैं, जिससे पारिवारिक और राजनीतिक संतुलन प्रभावित हो रहा है। तेज प्रताप के बयान अक्सर मीडिया में सुर्खियों में रहे हैं और उन्होंने कई बार पार्टी में अपनी स्वतंत्र राय और निर्णय लेने की आवश्यकता पर जोर दिया है।हाल ही में लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी बिना किसी का नाम लिए संजय यादव की भूमिका पर टिप्पणी की है। उन्होंने सार्वजनिक मंच पर कहा कि पार्टी में कुछ निर्णय ऐसे लिए जा रहे हैं, जिन पर सभी परिवार और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सहमति नहीं है। उनके इस बयान को राजनीतिक विशेषज्ञों ने लालू परिवार के अंदर बढ़ते तनाव और विवाद के संकेत के रूप में देखा है।विशेषज्ञों का कहना है कि राजद जैसी परिवार-प्रधान राजनीतिक पार्टी में नेताओं के निजी और राजनीतिक मतभेद अक्सर सार्वजनिक रूप ले लेते हैं। तेज प्रताप और रोहिणी के बयान इस बात का संकेत हैं कि संजय यादव की भूमिका पर परिवार के भीतर विवाद उत्पन्न हो गया है। इसके चलते आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए चुनौतियां बढ़ सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि परिवार के अंदर चल रहे विवाद का असर पार्टी की चुनावी रणनीति और उम्मीदवार चयन पर पड़ सकता है। यदि पारिवारिक मतभेद सार्वजनिक मंच पर बढ़ते रहे, तो इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में भ्रम और असंतोष उत्पन्न हो सकता है।संजय यादव के समर्थकों का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल पार्टी की चुनावी रणनीति को मजबूत करना और नेताओं को सही सलाह देना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विवादित बयान संजय यादव की कार्यशैली पर व्यक्तिगत मतभेद को दर्शाते हैं, न कि उनके प्रयासों की आलोचनाराजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, लालू परिवार में संजय यादव को लेकर चल रहे विवाद से पार्टी की एकता और चुनावी प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। परिवार के वरिष्ठ नेता और पार्टी के संरक्षक इस स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में हैं, ताकि आगामी चुनाव से पहले संगठनात्मक मजबूती बनी रहे। :विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि बिहार की राजनीति में परिवार और पार्टी के अंदरूनी मतभेद अक्सर बाहरी राजनीतिक दलों के लिए अवसर बन जाते हैं। राजद को चाहिए कि वह पारिवारिक विवादों को संभालते हुए मतदाताओं का ध्यान विकास और चुनावी मुद्दों पर बनाए रखे।इस तरह, तेज प्रताप यादव और रोहिणी आचार्य द्वारा उठाए गए सवाल लालू परिवार और राजद के अंदर चल रहे तनाव को उजागर करते हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी इस विवाद को कैसे संभालती है और चुनावी मैदान में अपनी एकजुटता बनाए रखती है।
