भारत के ‘पर्यटन की राजधानी’ भी कही जाने वली, हरदम शोर शराबों से भरी गोवा आजकल मायूसी की चादर ओढ़े दिख रही।नये साल पर हर साल पर्यटकों की भीड़ हुआ करती थी लेकिन खबर है कि हाल के दिनों में यहां पर्यटकों की संख्या में कमी आई है।विदेशी पर्यटक और अधिक खर्च करने वाले पर्यटक लगभग गायब हैं।
यह कहना है उन लोगों का जो गोवा में समुद्र तट पर झोंपड़ियां बनाकर रहते हैं। गोवा पर्यटन विभाग ने अगस्त 2024 में समुद्र तट पर अस्थायी झोंपड़ियां बनाने का लाइसेंस जारी किया था। ये झोंपड़ियां बांस, लकड़ी और ताड़ के पत्तों जैसी पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से बनाई जाती हैं। सरकार 1 सितंबर से 31 मई तक “पर्यटन के पीक सीजन” के दौरान समुद्र तट पर इन अस्थायी झोंपड़ियों को चलाने की अनुमति देती है।
हालांकि, झोंपड़ी मालिकों का कहना है कि लाइसेंस होने के बावजूद समुद्र तटीय क्षेत्र में झोंपड़ियों में ठहरने वालों की संख्या कम है। गोवा शेक ऑनर्स वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष क्रूज कार्डोजो ने कहा, “पहले क्रिसमस का समय बहुत व्यस्त होता था। हमें अधिक पर्यटकों की उम्मीद थी। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन यह पहले जैसी नहीं है। ओज्रान बीच पर ऑक्यूपेंसी केवल 30% है। लोग शायद थाईलैंड, श्रीलंका और वियतनाम जैसी सस्ती जगहों को चुन रहे हैं। यह चिंताजनक है।”
पहले गोवा की झोंपड़ियां विदेशी पर्यटकों से भरी होती थीं। लेकिन क्रूज कार्डोजो कहते हैं कि हाल के वर्षों में “घरेलू पर्यटकों” की संख्या बढ़ी है। लेकिन स्थानीय पर्यटकों की समस्या यह है कि वे अन्य राज्यों से जीप में आते हैं, होटल बुक नहीं करते, और एक दिन समुद्र तट पर बिताकर चले जाते हैं। इससे कारोबार नहीं बढ़ता।
समाधान के सुझाव:
झोंपड़ी मालिकों की कल्याण समिति के लंबे समय से जुड़े सदस्य, जॉन लोबो ने कहा, “गोवा को बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदान करके पर्यटकों को आकर्षित करना चाहिए। समुद्र तटों पर अच्छे शौचालय, चेंजिंग रूम, बिजली और सड़क जैसी बेहतर सुविधाएं होनी चाहिए।”