अंतरराष्ट्रीय

शेख हसीना ने दिया था ‘देखते ही गोली मारने’ का आदेश ! लीक ऑडियो ने मचाया तूफान

डेस्क : एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में BBC की जांच में दावा किया गया है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने पिछले साल हुए छात्र आंदोलनों के दौरान सुरक्षाबलों को प्रत्यक्ष गोलीबारी का आदेश दिया था. लीक हुई एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के मुताबिक, 18 जुलाई 2024 की रात शेख हसीना ने ढाका स्थित अपने सरकारी आवास ‘गणभवन’ से एक वरिष्ठ अधिकारी को फोन पर यह निर्देश दिया “जहां दिखें, गोली मारो. जो हथियार चाहिए, इस्तेमाल करो.”

यह विरोध आंदोलन बांग्लादेश सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के विस्तार के फैसले के खिलाफ शुरू हुआ था. छात्रों का आरोप था कि इस नीति से मेधावी उम्मीदवारों के साथ अन्याय हो रहा है और राजनीतिक निष्ठा या जातीय आधार पर आरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है. हालांकि 2018 में भी इसी मुद्दे पर प्रदर्शन हुए थे, लेकिन 2024 में इसका पैमाना कहीं ज्यादा बड़ा और उग्र था. छात्र, शिक्षक और मानवाधिकार कार्यकर्ता देशभर में सड़कों पर उतर आए थे.

BBC की रिपोर्ट में कहा गया है कि 18 जुलाई की रात के आदेश के बाद, सेना और अर्धसैनिक बलों को विश्वविद्यालय क्षेत्रों में तैनात कर दिया गया. मिलिट्री ग्रेड हथियारों से छात्रों पर गोलियां चलाई गईं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, जुलाई और अगस्त 2024 के बीच 1,400 से अधिक लोगों की मौत हुई और हजारों लोग गिरफ्तार किए गए. एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित कई वैश्विक संस्थाओं ने अब स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है.

बढ़ते जनविरोध और खुद सुरक्षा बलों में असंतोष के बीच, शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को भारत में शरण ले ली. वह तब से नई दिल्ली में रह रही हैं. ढाका के अधिकारियों ने इसे एक “राजनीतिक रूप से सुनियोजित पलायन” बताया है. हालांकि जनवरी 2025 में दिल्ली से दिए एक संक्षिप्त बयान में हसीना ने किसी भी हत्या का आदेश देने से इनकार किया था. उन्होंने इसे “कानूनी कार्रवाई” बताते हुए दंगा नियंत्रण के लिए जरूरी कदम कहा.

यूके के मानवाधिकार वकील टोबी कैडमैन, जो बांग्लादेश के विशेष अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल को सलाह दे रहे हैं, ने BBC को बताया कि यह ऑडियो “साफ, पुष्ट और सबूतों से मेल खाता है.” उन्होंने कहा कि यह रिकॉर्डिंग कमान स्तर पर लिए गए फैसलों को सीधे हसीना से जोड़ती है. मामले में अभियोजन पक्ष के पास डिजिटल ट्रांस्क्रिप्ट्स, आंतरिक सरकारी आदेश और रियल-टाइम फील्ड डिप्लॉयमेंट लॉग्स भी मौजूद हैं.

हसीना की पार्टी अवामी लीग ने इस ऑडियो को “छेड़छाड़ किया हुआ” करार दिया है, लेकिन कोर्ट में इसकी वैधता को चुनौती नहीं दी है, और न ही ऑडियो की पूरी रिकॉर्डिंग जारी की है. वहीं, हसीना की भारत में मौजूदगी को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है. मानवाधिकार संगठनों ने भारत से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है, खासकर जब जुलाई के अंत में ट्राइब्यूनल की सुनवाई शुरू होनी है.

 

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