राष्ट्रीय

‘ऐसा आदेश देंगे, जिसे DGP जीवनभर याद रखेंगे’, सुप्रीम कोर्ट ने UP पुलिस को लगाई फटकार

डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत Anticipatory Bail पर सुनवाई के दौरान पुलिस को फटकार लगाई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हो सकता, क्योंकि पुलिस दूसरा केस दर्ज कर लेगी। आप कितने केस दर्ज करेंगे? अपने डीजीपी को बताइए कि हम ऐसा आदेश जारी करेंगे, जिसे वे जीवन भर याद रखेंगे। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच के जज ने कहा, खाद की खरीद के बाद भी आप जमीन हड़पने की बात कर रहे हैं। आजकल जब सब कुछ डिजिटल हो रहा है, तो आप लाइव समन कैसे भेज सकते हैं? अनुराग दुबे को अपना मोबाइल फोन चालू रखने और जांच में सहयोग करने को कहा गया है। इसलिए कोर्ट की अनुमति के बिना इसे कब्जे में नहीं लिया जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस को संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है।

जस्टिस कांत ने आरोपी दुबे को गिरफ्तार न करने की चेतावनी देते हुए कहा, उसे जांच में हिस्सा लेने दें, लेकिन गिरफ्तार न करें। अगर आपको लगता है कि किसी खास मामले में गिरफ्तारी जरूरी है, तो हमें कारण बताएं। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राणा मुखर्जी ने कहा, “न्यायालय के पिछले आदेश के बाद याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था। लेकिन वह जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुआ। उसने जवाबी हलफनामा भेजा। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कांत ने टिप्पणी की, “याचिकाकर्ता को डर है कि यूपी पुलिस उसके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज कर सकती है।” “आरपी शायद आगे न आए, क्योंकि उसे पता है कि आप उसके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लेंगे।

अपने डीजीपी को बताएं कि जैसे ही वे आरोपी को छूएंगे, हम ऐसा सख्त आदेश जारी करेंगे कि वे इसे जीवन भर याद रखेंगे।” गैंगस्टर अनुराग दुबे के साथ सह-आरोपी रहे विनय दुबे की जिला कलेक्टर के आदेश के अनुसार करीब ढाई करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है। इस मामले में कुल 10 लोगों की जांच की जा रही है। इन दस लोगों पर अनुपम दुबे और उसके भाई अनुराग दुबे के साथ आर्थिक और भौतिक लाभ के लिए असामाजिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। डर के कारण कोई भी उनके खिलाफ गवाही या सूचना नहीं देता है। जांच अधिकारी बलराज भाटी ने आरोपी विनय दुबे की अवैध चल-अचल संपत्ति जब्त करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *