कोई भी छात्र, शिक्षक, अभिभावक, नौकरीपेशा या अवकाशप्राप्त व्यक्ति बन सकते हैं शिविर के सहभागी
पीजी संस्कृत विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में तय की गयी शिविर की रूपरेखा
शिविर में नामांकन हेतु संयोजक डॉ. चौरसिया- 9905437636 या केन्द्र-शिक्षक अमित झा- 6005312770 से संपर्क संभव
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सौजन्य से संचालित संस्कृत अध्ययन केन्द्र के तत्वावधान में 5 दिसंबर, 2024 से दस दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसमें किसी भी विद्यालय- महाविद्यालय, स्नातकोत्तर विभागों में अध्यनरत छात्र- छात्राएं, अध्यापक-प्राध्यापक, अभिभावक, घरेलू महिला, नौकरी करने वाले या अवकाश प्राप्त व्यक्ति भाग ले सकते हैं। शिविर में भाग लेने हेतु पीजी संस्कृत विभाग में, संयोजक डॉ चौरसिया- 9905437636 या केन्द्र- शिक्षक अमित कुमार झा -6005312770 से संपर्क किया जा सकता है।
संभाषण शिविर की रूपरेखा तय करने के उद्देश्य से स्नातकोत्तर संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ घनश्याम महतो की अध्यक्षता में विभाग में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें संस्कृत अध्ययन केन्द्र के केन्द्राधिकारी डॉ. आरएन चौरसिया, विभागीय शिक्षिका- डॉ ममता स्नेही एवं डॉ. मोना शर्मा, रसायनशास्त्र के शिक्षक डॉ. सोनू राम शंकर तथा केन्द्र के शिक्षक अमित कुमार झा, जेआरएफ एवं शोधार्थी- सदानन्द विश्वास एवं मणिपुष्पक घोष, छात्र- सुजीत ठाकुर, प्रत्यूष कुमार झा, अक्षय कुमार, दीपेश रंजन, कृष्णा पासवान, कर्मचारी- विद्यासागर भारती, मंजू अकेला योगेन्द्र पासवान तथा उदय कुमार उदेश आदि उपस्थित थे।
डॉ घनश्याम महतो ने कहा कि संस्कृत संभाषण से अन्य भाषाओं का भी ज्ञान बेहतर होता है, क्योंकि यह सभी भाषाओं की जननी है। उन्होंने कहा की संस्कृत संभाषण न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए, बल्कि सांस्कृतिक एकता, बौद्धिक उन्नति एवं वैश्विक पहचान के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉ सोनू रामशंकर ने विभाग द्वारा संस्कृत संभाषण शिविर आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विभाग को बधाई दी और कहा कि वे अपने छात्र-छात्राओं तथा परिचितों को अधिक से अधिक नामांकन करवाएंगे।
डॉ. आरएन चौरसिया ने बताया कि संस्कृत संभाषण का अभ्यास हमारे मस्तिष्क की स्मरण शक्ति, तर्क क्षमता तथा चिंतन गुणों को विकसित करता है। संस्कृत संभाषण से क्षेत्रीय एवं भाषाई विभाजन को कम किया जा सकता है।
केन्द्र के शिक्षक अमित कुमार झा ने बताया कि शिविर का आयोजन ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों मोड में होगा। इसलिए दूरस्थ व्यक्ति भी शिविर में भाग लेकर ज्ञान और प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं। डॉ ममता सनेही ने सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि संस्कृत को बढ़ावा देना हमारे प्राचीन ज्ञान- विज्ञान तथा परंपरा- संस्कृति के पुनर्गठन का सशक्त माध्यम है। डॉ मोना शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि संस्कृत के शुद्ध उच्चारण तथा व्याकरणिक संरचना के कारण हमारी स्मृति एवं एकाग्रता बढ़ती है। इससे पेशेवर अवसरों में भी वृद्धि होती है।