सीतामढ़ी (निशांत झा) : मिथिला की संस्कृति, विरासत तथा पहचान को जीवंत रखने की जरूरत है, जिसके लिए समाज की नई पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है। मिथिला की प्राचीन विरासत के विस्तार, इसके संरक्षण तथा संवर्धन के लिए मिथिला क्षेत्र के युवाओं तथा बुद्धिजीवियों को जाति-धर्म के बंधन से ऊपर उठकर आगे आना होगा। दरभंगा सांसद सह लोकसभा में भाजपा सचेतक डॉ. गोपाल जी ठाकुर ने मंगलवार की देर संध्या सीतामढ़ी जिले के बोखरा विधानसभा के खड़का वसंत पंचायत में आयोजित एक बौद्धिक संवाद परिचर्चा में उपरोक्त बातें कही।
सांसद डॉ. ठाकुर ने उक्त पंचायत के प्रवासी मैथिल तथा मिथिला मैथिली को महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों में विस्तार देने वाले मिहिर झा के यहां आयोजित इस संवाद कार्यक्रम में दरभंगा जिले के साथ साथ सीतामढी जिले से आए सैकड़ों बुद्धिजीवियों तथा जनप्रतिनिधियों के बीच मिथिला क्षेत्र के सांस्कृतिक संवर्धन को विस्तार से रेखांकित किया। उन्होंने ने मिथिला क्षेत्र में क्षेत्रवाद की भावना को मैथिली क्षेत्र के विकास में बाधक बताते हुए कहा कि आज कल लोग क्षेत्रवाद को आगे बढ़ाने के लिए मिथिलांचल बज्जिकांचल सीमांचल जैसे विभाजनकारी शब्दों का प्रयोग करते है जबकि मिथिला क्षेत्र में रहने वाले साढ़े आठ करोड़ सभी जाती और धर्म के लोग केवल मैथिल है तथा उनकी मातृभाषा केवल मैथिली है।
सांसद ने मिथिला के नाम पर वोट लेकर जितने वाले जनप्रतिनिधियो के द्वारा मैथिली भाषा की उपेक्षा किए जाने पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि आज जब मैथिली संविधान की आधिकारिक तथा संसदीय प्रणाली की भाषा बन चुकी है, लेकिन लोकसभा में मैथिली भाषा में आधा दर्जन संसद सदस्य ही शपथ ले पाते हैं, जबकि दो दर्जन से अधिक संसद सदस्यों को मातृभाषा में शपथ लेनी चाहिए। सांसद डॉ. ठाकुर ने उपस्थित बुद्धिजीवियों से मैथिली भाषा के आधिकाधिक उपयोग किए जाने का आह्वान करते हुए कहा कि आनेवाले समय में वे मैथिली भाषा के सम्मान के लिए विभिन्न जिलों में बौद्धिक संवाद परिचर्चा आयोजित करने के लिए पहल करेंगे।
इस मौके पर सीतामढी जिले से मिहिर कुमार झा, डॉ. नमिता झा, प्रो. संगीता झा, दरभंगा के पूर्व विधायक अमरनाथ गामी, भाजपा नेता उदयशंकर चौधरी, श्रवण चौधरी, प्रफुल्ल कुमार ठाकुर, कुंदन सिंह, मनीष झा, विकास विवेक चौधरी, सुबोध चौधरी, आशुतोष झा, पुरुषोत्तम सिंह, अविनाश कश्यप आदि मौजूद थे।